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दिल्ली में कांग्रेस और AAP के बीच खींचतान बढ़ी, उम्मीद टूटने से बिफर पड़ी पार्टी, जानें वजह

December 27, 2024

नई दिल्‍ली । दिल्ली(Delhi) में विधानसभा चुनाव(assembly elections) से पहले आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस के बीच तनातनी(Conflict within Congress) बढ़ गई है। आलम यह है कि ‘आप’ ने 24 घंटे की मोहलत देते हुए ‘इंडिया’ गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने की मांग उठाने की बात कह दी है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को ‘आप’ की नाराजगी की वजहें गिनाईं। करीब 13 मिनट के प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों ने कांग्रेस पर कई तरह के आरोप जड़े तो इशारों यह भी बता दिया कि कैसे उनकी एक उम्मीद को तोड़ा गया है और कैस उसके किए एक ‘अहसान’ को नहीं चुकाया गया।

दरअसल, संजय सिंह ने हरियाणा विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ‘आप’ ने गठबंधन की काफी कोशिशें की, लेकिन कांग्रेस के इनकार के बाद भी वह चुनाव तो लड़ी पर देश की सबसे पुरानी पार्टी को निशाने पर नहीं रखा गया। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए संजय सिंह ने याद दिलाया कि हरियाणा में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। दरअसल, उनके कहने का अर्थ है कि ‘आप’ ने वहां भाजपा के खिलाफ काम किया और कांग्रेस से उसकी फाइट फ्रेंडली थी। यह अलग बात है कि दोनों ही के लिए ही वहां चुनावी नतीजे निराशाजनक रहे।


राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अब ‘आप’ को उम्मीद थी कि जिस तरह उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस के खिलाफ तीखापन नहीं अपनाया उसी तरह कांग्रेस दिल्ली में उस पर नरमी बरतकर भाजपा के खिलाफ ही आक्रामक हो। लेकिन यहां जिस तरह कांग्रेस ने कथित शीशमहल से लेकर महिला सम्मान योजना के वादे तक पर आक्रामक रुख अपनाया उससे ‘आप’ को लगता है कि उसके खिलाफ माहौल बन रहा है और भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का सामना कर रही ‘आप’ को इस बार भाजपा से मजबूत टक्कर मिलने की संभावना जताई जा रही है।

2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को मिली प्रचंड जीत के विश्लेषण से पता चलता है कि दोनों ही चुनाव में कांग्रेस के अधिकतर वोटर ‘आप’ की ओर शिफ्ट हो गए। 2013 तक दिल्ली में लगातार 15 साल सरकार चलाने वाली कांग्रेस यदि अब अपने वोटबैंक को वापस खींचती है तो ‘आप’ को इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।

आधी से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी कांग्रेस ने एक तरफ जहां नए और युवा चेहरों पर दांव लगाया है तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की सीट पर बेहद मजबूत उम्मीदवारों को उतारकर ‘आप’ की चिंता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उतार दिया तो जंगपुरा में मनीष सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी को टिकट दिया गया है। केजरीवाल ने भले ही नई सीट पर खुद शीला दीक्षित को भी हरा दिया था, लेकिन ‘वह साल दूसरा था और यह साल दूसरा’ है।

कथित शराब घोटाले, कथित शीशमहल, पानी, खराब सड़क, प्रदूषित यमुना जैसे मुद्दों पर ‘भाजपा’ ने जिस तरह माहौल बनाया है उसके बाद ‘आप’ किसी भी सीट पर लड़ाई को आसान मानकर नहीं चल रही है। केजरीवाल के खिलाफ भाजपा पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को उतार सकती है। ऐसे में कांग्रेस ने यदि भाजपा विरोधी वोटों में बंटवारा कर दिया तो केजरीवाल के लिए चिंता बढ़ सकती है। इसी तरह पटपड़गंज की पुरानी सीट छोड़कर जंगपुरा पहुंचे सिसोदिया के खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर उनकी राह कुछ मुश्किल कर दी गई है। यही वजह है कि संजय सिंह और आतिशी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की लिस्ट भाजपा के दफ्तर में तैयार हो रही है। कांग्रेस हर वह काम कर रही है जिससे भाजपा को फायदा हो। आतिशी ने संदीप दीक्षित और फरहाद सूरी का खासतौर पर जिक्र करते हुए कहा कि इन नेताओं कोो चुनाव लड़ने का पैसा भी भाजपा ही दे रही है।

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