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दो दर्जन गार्डन होंगे विकसित…

July 29, 2025

  • 50 करोड़ खर्च करेगा प्राधिकरण
  • निगम सहित अन्य विभागों की तुलना में सबसे अधिक हरियाली की विकसित, लगाए गए पौधे शत-प्रतिशत बन गए पेड़, क्योंकि रख-रखाव का भी दिया जाता है साथ में ठेका

इंदौर। प्राधिकरण ने पिछले साल भी हरियाली महोत्सव और एक पेड़ मां के नाम जैसे अभियान में अपनी योजनाओं में मौजूद ग्रीन बेल्ट और गार्डनों में हजारों की संख्या में पौधे लगवाए, जो अब पेड़ बन गए, जिनमें मियांवाकी पद्धति से लगाया गया योजना 78 का गार्डन तो अच्छा-खासा फल-फूल गया है। दरअसल, प्राधिकरण पौधा लगवाने के साथ-साथ उसके रख-रखाव का भी ठेका देता है, जिसके चलते शत-प्रतिशत पौधे पनप जाते हैं और जो सूखते हैं उनकी जगह ठेकेदार नए पौधे लगाता है। अभी दो दर्जन गार्डन और प्राधिकरण अपनी टीपीएस और अन्य योजनाओं में विकसित कर रहा है और लगभग 50 करोड़ खर्च भी करेगा।

प्राधिकरण द्वारा सालों पहले रिंगरोड पर जो चौड़े ग्रीन बेल्ट बनाए और हरियाली की वह आज भी कायम है। हालांकि मेट्रो प्रोजेक्ट और फ्लायओवर निर्माण के चलते कुछ ग्रीन बेल्ट हटाना भी पड़े। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट आदेश से योजना क्रमांक 97 पार्ट-4 में प्राधिकरण को सिटी फॉरेस्ट की भी 42 एकड़ जमीन हासिल हुई है। उसके लिए भी प्राधिकरण डीपीआर तैयार कर रहा है। अभी पिछले दिनों भी प्राधिकरण ने कुमेर्डी में आईएसबीटी के सामने 2100 पौधे लगाए और पिछले साल भी प्राधिकरण ने लगभग ढाई लाख पौधे लगाए थे।

वे 10 से 15 फीट ऊंचाई के हो गए हैं। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक, इस साल भी मां की बगिया, एक पौधा मां के नाम सहित मानसून सीजन में हजारों की संख्या में पौधे लगाए जा रहे हैं और प्राधिकरण की पुरानी योजनाओं के अलावा जो नई टीपीएस योजनाएं घोषित की गई हैं उनमें बड़ी संख्या में गार्डनों की जमीनें भी मौजूद हैं। लिहाजा ऐसे दो दर्जन गार्डनों में ही ढाई लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है और पिछले दिनों मियावॉकी पद्धति के अलावा अन्य पौधारोपण के लिए टेंडर भी बुलाए गए हैं।


अलग-अलग ठेकेदार फर्मों को इसका जिम्मा सौंपा जाएगा और संबंधित फर्मों को ही डेढ़ से दो साल तक लगाए गए पौधों की देखभाल भी करना होगी और यही कारण है कि नगर निगम सहित अन्य विभागों द्वारा हर साल जो पौधारोपण किया जाता है उसकी तुलना में प्राधिकरण का पौधारोपण अधिक सफल इसलिए साबित होता है, क्योंकि ठेकेदार फर्मों को रख-रखाव की जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है और अगर कहीं पौधे सूख जाते हैं तो फिर फर्म उनकी जगह नए पौधे लगाती है। इतना ही नहीं, ग्रीन बेल्ट और गार्डनों में पौधारोपण के पहले बाउण्ड्री, फेंसिंग,पानी के लिए बोरिंग सहित अन्य व्यवस्थाएं भी जुटाई जाती है और प्राधिकरण का अमला भी इसकी लगातार मॉनिटरिंग करता है। इस बार पर्यावरण दिवस पर प्राधिकरण ने सिंदूर गार्डन में 1100 पौधे लगाए और अभी हुई बारिश के चलते भी अब प्राधिकरण तेजी से पौधारोपण करवाएगा।

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