जबलपुर। गोसलपुर के आसपास के गांवों की ढाई सौ एकड़ से ज्यादा में लगी धान की फसल के खराब होने के पीछे जिओमिन बेनिफिकेशन प्लांट से निकला जहरीला पानी है। मध्यप्रदेश के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट राजशेखर रति और उनकी टीम की जांच में यही तथ्य निकलकर सामने आया है। ढाई सौ एकड़ की फसल खराब होने के बाद साल 2024 अगस्त में ग्राम पंचायत धरमपुरा के 70 किसानों ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण सिंह के साथ मिलकर सरकार से शिकायत की थी। जांच के बाद टीम अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी और इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई
जांच दल ने खदान की मिट्टी-पानी के नमूने लिए हैं और इनकी जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बताया गया है कि टीम ने प्लांट के भीतर आयरन ओर की धुलाई और और फिर उससे निकले पानी को फिल्टर करने की प्रक्रिया भी समझी। इस मामले ने दो बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। पहला तो ये कि जिन किसानों की फसलें खराब हुई,उनका मुआवजा कौन देगा और कब तक देगा। दूसरा, ये कि किसानों की फसलों के खराब होने से बचाव की गारंटी क्या है।
कोई टीम नहीं आई:डायरेक्टर
जिओमिन के डायरेक्टर दिनेश सिंह ने कहा कि प्लांट या खदान की जांच के लिए कोई टीम नहीं आई और ऐसा कोई इश्यू नहीं है।
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