
भोपाल। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने मध्यप्रदेश की प्रशासनिक कार्यशैली (Administrative working style) में एक स्पष्ट बदलाव की दिशा तय की है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार कैबिनेट की बैठकें भोपाल (Bhopal) स्थित मंत्रालय में ही होती थीं, लेकिन मोहन सरकार ने इस ढांचे को विस्तार देते हुए प्रदेश के अलग–अलग शहरों में कैबिनेट बैठकें आयोजित करने की शुरुआत की। इसे ‘डेस्टिनेशन कैबिनेट’ नाम दिया गया, जिसका उद्देश्य केवल प्रशासनिक निर्णय लेना नहीं, बल्कि उन स्थानों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी सामने लाना है।
डेस्टिनेशन कैबिनेट की शुरुआत वर्ष 2024 में हुई। जनवरी 2024 में पहली बार जबलपुर में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई, जहां कई अहम फैसले लिए गए। इसके बाद अक्तूबर 2024 में दमोह जिले के सिंग्रामपुर में बैठक हुई, जिसे रानी दुर्गावती को समर्पित किया गया। सिंग्रामपुर उनके शासनकाल में राजधानी रहा है और इस बैठक के जरिए ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया।
जनवरी 2025 में सरकार ने खरगोन जिले के महेश्वर में नर्मदा तट किनारे स्थित किले में कैबिनेट बैठक की। यह बैठक रानी अहिल्याबाई होलकर को समर्पित रही। इसी बैठक में सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए धार्मिक शहरों में शराबबंदी का फैसला किया, जिसे व्यापक स्तर पर चर्चा मिली। इसके बाद इंदौर के राजवाड़ा में हुई कैबिनेट बैठक में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के लिए मेट्रोपॉलिटिन अथॉरिटी के गठन का निर्णय लिया गया।
जून 2025 में होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में आयोजित कैबिनेट बैठक राजा भभूत सिंह को समर्पित थी। हाल ही में छतरपुर जिले के खजुराहो में भी कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। इन बैठकों के माध्यम से सरकार उन स्थानों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन पहचान को नए सिरे से स्थापित करने का प्रयास कर रही है। डेस्टिनेशन कैबिनेट के जरिए मोहन सरकार ने यह संकेत दिया है कि शासन केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा। छोटे शहरों और ऐतिहासिक स्थलों पर जाकर फैसले लेने से न सिर्फ प्रशासन जनता के करीब पहुंचा है, बल्कि प्रदेश की विरासत को भी नीति निर्माण से जोड़ा गया है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved