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उद्धव ठाकरे की फिर बढ़ेंगी मुश्किलें? MNS प्रमुख का शिंदे की शिवसेना में शामिल होने के अटकलें

March 27, 2024

नई दिल्‍ली(New Delhi) । महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Army Chief Raj Thackeray)और भाजपा नेतृत्व (BJP leadership)के बीच हाल ही में दिल्ली में बैठक(meeting in delhi) हुई। इस मुलाकात ने महाराष्ट्र की राजनीति (politics of Maharashtra)में भूचाल ला दिया है। यदि बातचीत सार्थक रही तो उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। आपको बता दें कि राज ठाकरे ने दिल्ली में बीजेपी नेता विनोद तावड़े से मुलाकात की थी। इसके बाद वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले थे। लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की अटकलें लगने लगीं।


एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा कि राज ठाकरे और विनोद तावड़े के बीच हुई मुलाकात से कई संभावनाएं खुल सकती हैं। एक संभावना यह भी है कि राज ठाकरे की पार्टी ता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ विलय हो सकता है। पारंपरिक ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ सकते हैं।

एकनाथ शिंदे को चुनाव आयोग के फैसले के बाद पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया। उन्हें अधिकांश विधायकों, सांसदों और पार्षदों का भी समर्थन प्राप्त है, लेकिन मराठी माणूस की भावना अभी भी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के साथ है।

मराठा वोट और ठाकरे की राजनीति

शिव सेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने मराठा समुदाय को एकजुट किया और उनमें एकता की भावना स्थापित की। इसके बाद से ठाकरे नाम और शिव सेना का ‘धनुष और तीर’ ने मराठों को एकजुट रखा। हलांकि, एकनाथ शिंदे ने बगावत करके शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया। वह भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बने। सूत्रों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक रूप से शक्तिशाली मराठा समुदाय का समर्थन प्राप्त नहीं है।

ऐसी स्थिति में यदि कोई ठाकरे ‘धनुष और तीर’ प्रतीक पर लड़ता है और मराठों की एकता का आह्वान करते है तो यह भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के लिए एक आसान रास्ता हो सकता है। उद्धव ठाकरे को शायद इस बात की भनक है। इसलिए जब राज ठाकरे भाजपा नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली में थे तब उद्धव ठाकरे ने तुरंत कहा कि भाजपा ‘ठाकरे’ को चुराने की कोशिश कर रही है।

महाराष्ट्र में मराठों की शक्ति

मराठा समुदाय महाराष्ट्र में सबसे प्रमुख राजनीतिक गुट है। अब तक 16 में से 10 मुख्यमंत्री इस समुदाय से बने हैं। मराठों में कुनबी उपजाति का प्रभाव है। सीएसडीएस राष्ट्रीय चुनाव सर्वेक्षण के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में 39 प्रतिशत मराठा-कुनबियों ने शिवसेना, 28 प्रतिशत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, 20 प्रतिशत ने भाजपा और 9 प्रतिशत ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया।

2014 में जब बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना को 19 फीसदी वोट मिले थे। इसमें से 8-9 फीसदी वोट हिंदुत्व के लिए थे, जबकि 10-11 फीसदी वोट मराठी भावना के लिए मिले थे।

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