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Ukraine war Effect: MBBS की पढ़ाई के लिए अब उज्बेकिस्तान का रुख कर रहे भारतीय छात्र

December 11, 2023

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) से हर साल बड़ी संख्या में छात्र MBBS करने के लिए यूक्रेन (Ukraine) जाते हैं, लेकिन युद्ध की वजह से अब ये स्टूडेंट्स (students) उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) का रुख कर रहे हैं. साल 2021 तक उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में करीब 100 से 150 भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई (Indian students studying medicine) करने जाते थे, पर अब साल 2023 में ये संख्या 3000 हो गई है. इनमें से 1000 स्टूडेंट्स वो हैं, जिन्हें यूक्रेन से अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ कर आना पड़ा था।

स्टेट समरकंद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ जफर अमीनोव ने पीटीआई को बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके लिए हम उचित व्यवस्था भी कर रहे हैं ताकि स्टूडेंट्स को किसी भी तरह की असुविधा ना हो।


अमीनोव ने कहा, हमने इस साल भारत से 40 टीचर्स को नौकरी पर रखा है. हमारे यहां अंग्रेजी में पढ़ाई करवाई जाती है और हम ये बताना चाहते हैं कि एक्सेंट की वजह से उन्हें कोई समस्या नहीं होगी. एक समय था जब यूक्रेन मेडिकल की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय था, लेकिन युद्ध ने इन छात्रों के लिए MBBS की पढ़ाई के दरवाजे बंद कर दिए हैं।

6 साल का होता है MBBS कोर्स
उज्बेकिस्तान में MBBS की पढ़ाई 6 साल में पूरी होती है. वहीं भारत में 5.5 साल में मेडिकल की पढ़ाई पूरी होती है. उज्बेकिस्तान में MBBS की पढ़ाई इंग्लिश में करवाई जाती है, फीस भी कम है और प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज्यादा जोर दिया जाता है. यही वजह है कि स्टूडेंट्स के बीच उज्बेकिस्तान की यूनिवर्सिटी काफी लोकप्रिय हो रही है. कंस्लटेंसी फर्म के एमडी सुनील शर्मा का कहना है कि समरकंद मध्य एशिया का छुपा हुआ हीरा है और ये भारतीय छात्राओं के लिए भी काफी सुरक्षित है।

समरकंद यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे भारतीय छात्रों ने वहां की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपने अनुभव साझा किए. बिहार के मधुबन के रहने वाले एक छात्र मोहम्मद आफताब ने बताया कि यहां शांतिपूर्ण माहौल है. भाषा को लेकर कोई बाधा नहीं है. भारत और पाकिस्तान दोनों देशों से टीचर्स पढ़ाने के लिए आते हैं. हरियाणा के गुड़गांव के विशाल कटारिया यहां का माहौल भारत के समान ही है. सलाहकारों का मानना है कि आने वाले समय में भी यहां भारतीय स्टूडेंट्स की वृद्धि देखने को मिलेगी. क्योंकि यहां छात्रों को अभ्यास के लिए अतिरिक्त परीक्षा नहीं देनी पड़ती है।

नहीं देना पड़ती लाइसेंस परीक्षा
ड्रीम MBBS अब्रॉड के सलाकार मृणाल कुमार का कहना है कि रूस, जॉर्जिया, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान से मेडिकल की पढ़ाई करने पर आपको लाइसेंस की परीक्षा देना पड़ता है. लेकिन अगर आप समरकंद से MBBS करते हैं तो यहां की मेडिकल डिग्री ही लाइसेंस है इसलिए भी भारतीय छात्र इस यूनिवर्सिटी से MBBS करना पसंद करते हैं. हर साल लगभग 25,000 भारतीय छात्र MBBS की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं. छात्रों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट और फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (एफएमजीई) को पास करना अनिवार्य होता है।

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