
नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में देश में ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स और वेबसाइट (Online Gaming Apps and Websites) तेजी से बढ़े हैं. कई हजारों करोड़ों रुपये का लेनदेन यहां हर रोज होता है, लेकिन भारत सरकार ने अब इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है. भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग बिल पेश किया है. यह बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनें में पास हो गया है. केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत सरकार को यह बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी?
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग डिजिटल टेक्नोलॉजी में बड़ा सेक्टर बनकर उभरा है. यह एक बढ़ता हुआ सेक्टर है. ऑनलाइन गेमिंग के तीन सेगमेंट्स हैं. ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन सोशल गेमिंग और ऑनलाइन मनी गेमिंग. इन तीन सेगेमेंट में से दो सेगेमेंट यानी दो तिहाई इंडस्ट्री का ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेमिंग को इस बिल के माध्यम से प्रमोट किया जाएगा. बिल का नाम ही है प्रमोशन एंड रेग्यूलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग.
उन्होंने कहा कि जो ऑनलाइन मनी गेमिंग का सेगमेंट है वो नुकसानदायक है. इसके पीछे की सोच यह है कि भारत में गेमिंग. गेम मेकिंग और क्रिएटिव और टेकनोल़ॉजी का जो इंटरसेक्शन है, उसका एक बहुत बड़ा टैलेंट बेस है. इसलिए हमें भारत को गेम मेकिंग हब बनाना चाहिए. ऑनलाइन सोशल गेम्स जिसमें एजुकेशन के लिए या फिर रिक्रिएशन के लिए या माइंड रिलैक्शेसन जैसी चीजें हों तो उन्हें प्रमोट करना चाहिए. लेकिन ऑनलाइन मनी गेमिंग के कारण सोसायटी में जो एक गंभीर नुकसान नजर आया है.
उन्होंने कहा कि यूथ इसकी लत में पड़ रहा है. मिडिल क्लास अपनी सारी कमाई गंवा देते हैं. एक के बाद एक ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिसमें परिवार का कोई सदस्य सुसाइड कर ले रहा है. हाल ही में एक मामला सामने आया था जिसमें एक 8 साल के बच्चे ने सुसाइड कर लिया था. उन्होंने आगे कहा कि देश के हर राज्य से आने वाले सांसद हों या फिर विधायक हों, वे इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं. लोकसभा स्पीकर ने भी कहा था कि वह इस मुद्दे पर 18 घंटे बहस के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनके पास भी लोग ऐसे मुद्दे लेकर आते हैं.
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