
इंदौर। बिहार में रहने वाले एक युवक द्वारा अनोखी शिवभक्ति की जा रही है। इस समय यह युवक ओंकारेश्वर से लेकर उज्जैन तक दंडवत करता हुआ जा रहा है। इन दिनों यह युवक इंदौर शहर से उज्जैन रोड की तरफ आगे बढ़ रहा है। कल दोपहर में कलेक्टर कार्यालय के सामने उस समय लोग कौतूहल से देखने लगे, जब एक युवक सडक़ पर दंडवत लगा रहा था। इस व्यक्ति को लोग देखते ही रह गए। यह व्यक्ति सडक़ पर उलटा पूरा लेट जाता और जहां पर इसके हाथ पहुंचे वहां पर एक सामान को रख देता, फिर खड़ा होता.. जहां सामान रखा था वहां से उस सामान को उठाकर उस स्थान पर खड़ा होता और फिर आगे की तरफ उलटा लेट जाता। इस तरह यह व्यक्ति दंडवत कर रहा था।
इस स्थिति को देखकर यह प्रतिनिधि तत्काल उस व्यक्ति के पास पहुंचा। उसके साथ में उसका एक साथी उसके ठीक आगे साइकिल हाथ में लेकर चल रहा था। इस व्यक्ति का नाम निहालसिंह है और उम्र 28 वर्ष है। जब इस व्यक्ति से बात की गई तो उसने बताया कि वह बिहार के सिरसा का निवासी है। उसे भगवान शिव की पूजा, पाठ और परिक्रमा करने की आदत है। जब उसके पिताजी गंभीर रूप से बीमार हुए थे तो उसने बैजनाथ ज्योतिर्लिंग पर मन्नत ली थी कि यदि पिताजी अच्छे हो जाएंगे तो वह बैजनाथ महादेव की दंडावती परिक्रमा करेगा। यह मन्नत लेने के बाद उसके पिताजी का स्वास्थ्य अच्छा हो गया। इसके परिणाम स्वरूप इस व्यक्ति द्वारा दंडावती परिक्रमा की गई।
उस समय से लेकर आज तक यानी 5 साल से हर साल वह दंडावती परिक्रमा करता है। बैजनाथ में उसकी यह परिक्रमा 110 किलोमीटर की रहती है। निहालसिंह ने बताया कि इस बार उसके मन में ख्याल आया कि मध्यप्रदेश में जाकर ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग से लेकर बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग तक दंडावती परिक्रमा करना चाहिए। दिमाग में यह विचार आते ही वह अपने एक साथी को लेकर बिहार से रवाना होकर मध्यप्रदेश पहुंच गया।
इस व्यक्ति द्वारा 3 जनवरी को ओंकारेश्वर से दंडवत परिक्रमा शुरू की गई। अब तक उसकी इस परिक्रमा को सवा महीना हो चुका है। अभी वह इंदौर पहुंचा है। अभी उसे इंदौर से उज्जैन तक का रास्ता तय करना है। जब इस व्यक्ति से पूछा गया कि उज्जैन पहुंचकर उसकी यह दंडावती परिक्रमा कितने दिन में पूरी होगी तो उसका जवाब था कि जब बाबा महाकाल चाहेंगे तब उसकी परिक्रमा पूरी होगी। उसके द्वारा ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है कि हर दिन इतने किलोमीटर दंडावती परिक्रमा करना है। जब तक भगवान की ओर से उसके मन में भाव होता है, तब तक वह परिक्रमा करता है और फिर जहां मन करता है वहीं पर परिक्रमा को रोक देता है।
अपने हाथ से बनाता है भोजन
निहालसिंह ने बताया कि जहां भी परिक्रमा रोकता है वहां पर अपने हाथ से ही अपने लिए और अपने साथी के लिए भोजन बनता है। उसके साथ में चल रही साइकिल पर भोजन की कच्ची सामग्री रखी हुई है। इसके साथ ही उसके सोने के लिए बिछाने और ओढऩे के कपड़े भी रखे हुए हैं।
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