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यूपी : चीनी मिलें तैयार करेंगी ‘सल्‍फर लेस चीनी’

December 03, 2020

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के निगम की चीनी मिलों में अब सल्फर लेस चीनी का प्रोडक्शन होगा। इसकी शुरुआत बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच चीनी मिल से होगी।

उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की ये दोनों चीनी मिलें निगम क्षेत्र की प्रदेश की पहली सल्फर लेस चीनी निर्माण करने वाली इकाई बन जाएंगी। सल्फर लेस चीनी उत्पादन के लिए दोनों चीनी मिलों ने आधुनिक टरबाइन लगाया है। निर्माण हो रहा है। टरबाइन निर्माण पर मिलों ने 25-25 करोड़ रुपये खर्च किया है।

हानिकारक है सामान्य चीनी
देश मे अभी चीनी तैयार करने की वर्तमान तकनीक में गन्ने के रस को साफ करने के लिए चूना और सल्फर डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल हो रहा है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वजह, चीनी बनने के बाद भी सल्फर का कुछ अंश इसमें बच जाते हैं। यही कारण है कि विदेशों में सल्फरयुक्त चीनी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। वहां दो बार शोधित कर रिफाइंड चीनी उपयोग में लाई जाती है, जिसकी प्रक्रिया जटिल और महंगी है।

सामान्य चीनी से डेढ़ रुपये महंगी होगी चीन
बाजार में उपलब्ध सल्फर रहित चीनी के भाव से सल्फर लेस चीनी का दाम एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो की दर से महंगा होगा। इतना ही नहीं, सल्फर लेस चीनी को दूसरे देशों की डिमांड पर बेंचा भी जाएगा। निर्यात कर सरकार द्वारा अलग से राजस्व इकट्ठा किया जाएगा।

हो चुका डोगा पूजन
मुण्डेरवा चीनी मिल में डोगा पूजन 28 नवम्बर और मंगलवार की शाम से गन्ना क्रसिंग शुरू है, तो पिपराइच में 30 नवम्बर को डोगा पूजन सम्पन्न होने के बाद जल्दी ही पेराई शुरू हो जाएगी। 50-50 हजार कुंतल प्रति दिन पेराई क्षमता वाली दोनों मिलों का पेराई लक्ष्य 65 लाख कुंतल निर्धारित है।

बोले पर्यावरणविद
वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र काम करने वाली संस्था हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी नरेंद्र कुमार मिश्र कहते हैं कि नई तकनीकी से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड का सदुपयोग होगा। चीनी निर्यात करने में देश सक्षम होगा। सल्फर की वजह से यह प्रतिबंध मुक्त होगा। बाद में आम जन को सस्ती चीनी मिलने का रास्ता साफ होगा। (एजेंसी, हि.स.)

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