
कराकस। दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले देश (World Largest oil Reserves Country) वेनेज़ुएला (Venezuela) पर अमेरिका की नजरें एक बार फिर टिक गई हैं। खबरों के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) ने वेनेज़ुएला के तटों की ओर नौसेना के युद्धपोत भेजे हैं। इस कदम ने वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका वेनेज़ुएला पर हमले की तैयारी कर रहा है?
हालांकि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका की सेना के लिए उनके देश में घुसपैठ करना “किसी भी तरह से संभव नहीं” है। यह बयान तब आया जब दक्षिणी कैरेबियन में वेनेजुएला के क्षेत्रीय जल के पास अमेरिकी नौसेना की तैनाती बढ़ रही है, जिसे अमेरिका ने लैटिन अमेरिकी ड्रग कार्टेल के खिलाफ अभियान बताया है। मादुरो ने अपने देश के सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, “आज हम कल की तुलना में अधिक मजबूत हैं। आज हम शांति, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं।” यह बयान सरकार संचालित वेनेजुएला न्यूज एजेंसी ने प्रकाशित किया।
अमेरिका ने तैनात की परमाणु पनडुब्बी
वेनेजुएला के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत सैमुअल मॉन्काडा ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की और अमेरिकी सैन्य तैनाती के खिलाफ विरोध दर्ज किया। मॉन्काडा ने संवाददाताओं से कहा, “यह एक बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान है, जिसका उद्देश्य ‘काइनेटिक एक्शन’ यानी सैन्य हस्तक्षेप को उचित ठहराना है। वेनेजुएला एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है, जो किसी के लिए खतरा नहीं है।” उन्होंने अमेरिका के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा, “वे कह रहे हैं कि वे नशीले पदार्थों की तस्करी से लड़ने के लिए परमाणु पनडुब्बी भेज रहे हैं, जो हास्यास्पद है।”
अमेरिकी नौसेना के प्रमुख एडमिरल डेरिल क्लॉड ने गुरुवार को पुष्टि की कि दक्षिण अमेरिका के तटों पर अमेरिकी युद्धपोत तैनात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ वेनेजुएलाई नागरिक बड़े पैमाने पर ड्रग तस्करी में शामिल हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बताया कि क्षेत्र में सात अमेरिकी युद्धपोत और एक परमाणु-संचालित फास्ट अटैक पनडुब्बी या तो मौजूद हैं या अगले सप्ताह वहां पहुंचने वाली हैं।
अमेरिकी ने भेजे बेहद खूंखार सैनिक
इसके अलावा, 4,500 से अधिक अमेरिकी सैनिक, जिनमें लगभग 2,200 मरीन शामिल हैं, वे भी इन जहाजों पर तैनात हैं। यह अभियान ट्रंप प्रशासन द्वारा मादुरो और उनके सरकार के अन्य सदस्यों पर कोकेन तस्करी से संबंधित आरोपों के बाद शुरू किया गया था। वेनेजुएला ने जवाब में अपने तटों पर युद्धपोत और ड्रोन तैनात किए हैं और आंतरिक रक्षा को मजबूत करने के लिए हजारों मिलिशिया सदस्यों की भर्ती शुरू की है। वेनेजुएला ने कोलंबिया के साथ अपनी सीमाओं पर 15,000 सैनिकों को तैनात किया है ताकि ड्रग तस्करी और अन्य आपराधिक गिरोहों पर नकेल कसी जा सके।
मादुरो ने कोलंबिया को धन्यवाद दिया, जिसने कोलंबिया-वेनेजुएला सीमा पर “नार्को-आतंकवादी गिरोहों” से निपटने के लिए 25,000 अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। हालांकि अमेरिका ने वेनेजुएला पर आक्रमण की कोई सार्वजनिक धमकी नहीं दी है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने देश के शक्तिशाली आपराधिक गिरोहों, विशेष रूप से कोकेन तस्करी करने वाले कार्टेल डे लॉस सोल्स पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसे ट्रंप प्रशासन ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है और मादुरो पर इसका नेतृत्व करने का आरोप लगाया है।
राष्ट्रपति पर ही 50 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा
मादुरो ने बदले में वाशिंगटन पर वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन की कोशिश करने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने मादुरो की गिरफ्तारी के लिए 50 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा की है, जिसमें उन पर ड्रग अपराधों का आरोप लगाया गया है। इस बढ़ते तनाव के बीच, वेनेजुएला अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है, जबकि क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति ने अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को बढ़ा दिया है।
तेल का खजाना और भू-राजनीतिक महत्व
वेनेज़ुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल भंडार है, जिसका अनुमान 300 अरब बैरल से अधिक है। यह सऊदी अरब, रूस और ईरान जैसे तेल उत्पादक देशों से भी ज्यादा है। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों और आर्थिक संकट के कारण वेनेज़ुएला का तेल उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक समय भारत और चीन जैसे देश वेनेज़ुएला से भारी मात्रा में तेल आयात करते थे, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद यह आपूर्ति लगभग ठप हो चुकी है।
ट्रंप की रणनीति: ड्रग्स या तेल?
अमेरिका ने वेनेज़ुएला पर ड्रग्स तस्करी का आरोप लगाते हुए अपनी नौसेना को कैरेबियाई सागर में तैनात किया है। वाइट हाउस का कहना है कि यह कदम ड्रग्स के अवैध व्यापार को रोकने के लिए उठाया गया है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि असली मकसद वेनेज़ुएला के तेल भंडार पर नियंत्रण स्थापित करना हो सकता है। अमेरिका तेल के खेल में बड़ा खिलाड़ी है। रूस और ईरान जैसे देशों पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका ने अपने तेल निर्यात को बढ़ावा दिया है। वेनेज़ुएला पर दबाव भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
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