
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) के नेतृत्व वाले प्रशासन ने गुरुवार को भारत (India) की दो प्रमुख कंपनियों (Two Major Companies) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। लेकिन इस बार प्रतिबंधों की वजह रूस (Russia) नहीं है। इसके बजाय, प्रतिबंध का कारण इन कंपनियों का ईरानी तेल के साथ कथित संबंध है। इससे पहले अमेरिका ने रूस से तेल आयात (Oil imports from Russia.) को लेकर कई भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रंप प्रशासन ने ईरान के व्यापक ‘शैडो ऑयल नेटवर्क’ को ध्वस्त करने के उद्देश्य से कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का नया दौर शुरू किया है। इन प्रतिबंधों के तहत कई देशों में फैले 17 संस्थानों, व्यक्तियों और जहाजों को नामित किया गया है, जिनमें भारत स्थित एक शिपिंग कंपनी और एक पेट्रोलियम उत्पाद ट्रेडर भी शामिल हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि इन कार्रवाईयों का उद्देश्य उन राजस्व स्रोतों को समाप्त करना है जिनके माध्यम से ईरानी शासन अपने परमाणु कार्यक्रम को बढ़ावा देता है और गुप्त तरीकों से तेल की अंतरराष्ट्रीय सप्लाई कर विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार- आज जिन संस्थाओं और व्यक्तियों को प्रतिबंधित किया गया है, वे ईरानी तेल को छिपे हुए तरीकों से लोड और ट्रांसपोर्ट करते हैं। इन तरीकों में गलत दस्तावेज, फर्जी पहचान और जहाजों के ट्रैकिंग सिस्टम बंद करने जैसे कदम शामिल हैं।”
भारत की TR6 PETRO पर कार्रवाई
प्रतिबंधों में शामिल प्रमुख नामों में TR6 PETRO है, जो भारत स्थित एक पेट्रोलियम उत्पाद ट्रेडर कंपनी है। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अक्टूबर 2024 से जून 2025 के बीच इस कंपनी ने ईरानी मूल के बिटुमेन की लगभग 8 मिलियन डॉलर की खरीद की। बिटुमेन पेट्रोलियम से प्राप्त एक चिपचिपा, काले-भूरे रंग का पदार्थ होता है, जो तरल से अर्ध-ठोस अवस्था में पाया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से सड़क निर्माण में किया जाता है। अमेरिकी सरकार ने TR6 PETRO पर प्रतिबंध लगा दिया है।
भारत की आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड भी निशाने पर
अमेरिकी वित्त विभाग यानी OFAC ने भारत स्थित आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भी प्रतिबंधित किया है। कंपनी पर आरोप है कि उसने ईरान की सेना से जुड़ी ‘सेपहर एनर्जी जहां नामा पारश कंपनी’ (सेपहर एनर्जी जहां) के लिए कच्चे तेल को ढोने वाले जहाजों का संचालन किया। कंपनी से जुड़े दो भारतीय नागरिकों, जैर हुसैन इकबाल हुसैन सईद और ज़ुल्फिकार हुसैन रिजवी सईद को भी नामजद किया गया है। आरएन शिप मैनेजमेंट को उन कई देशों- जैसे यूएई, पनामा, जर्मनी, ग्रीस और गाम्बिया की कंपनियों के समूह का हिस्सा बताया गया है जो ईरानी तेल को छिपे तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में कथित रूप से शामिल हैं।
ईरान की ‘डार्क फ्लीट’ पर नकेल
OFAC के अनुसार, ईरान तेल परिवहन के लिए एक विशाल डार्क फ्लीट का उपयोग करता है- ऐसे जहाज जो: – ट्रांसपोंडर बंद कर देते हैं, – जहाज-से-जहाज गुप्त ट्रांसफर करते हैं, – जहाज और कार्गो दस्तावेजों में फेरबदल करते हैं, और तेल के ऑरिजिन देश को छिपाकर दूसरे देशों तक पहुंचाते हैं। अमेरिका का कहना है कि इस नेटवर्क से ईरान को अरबों डॉलर की आय होती है, जिसका उपयोग वह सैन्य अभियानों और क्षेत्रीय संघर्षों को समर्थन देने में करता रहा है- खासकर हाल ही में इजरायल के साथ हुए 12-दिवसीय युद्ध के बाद।
महान एयर और उसकी सहायक कंपनी पर अतिरिक्त प्रतिबंध
नए उपायों में ईरान की निजी एयरलाइन महान एयर और उसकी सहायक यज्द इंटरनेशनल एयरवेज कंपनी पर भी व्यापक प्रतिबंध लगाए गए हैं। वाशिंगटन का आरोप है कि एयरलाइन का IRGC-QF (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स–कुद्स फोर्स) से सीधा तालमेल है और यह: हथियार, कर्मियों तथा सैन्य सामग्री को सीरिया और लेबनान में ईरान समर्थित समूहों तक पहुंचाने में शामिल रही है। अमेरिका ने एयरलाइन के कई वरिष्ठ लॉजिस्टिक्स व प्रोक्योरमेंट अधिकारियों को भी प्रतिबंधित किया है। सात पश्चिमी निर्मित विमान, जिन्हें तीसरे देशों के जरिए हासिल किया गया था, अब ब्लॉक्ड प्रॉपर्टी घोषित किए गए हैं।
ईरानी आय रोकना आवश्यक- अमेरिकी वित्त मंत्री
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि आज की कार्रवाई ईरानी शासन की परमाणु महत्वाकांक्षाओं और आतंकवादी प्रॉक्सी समूहों को फंडिंग पर रोक लगाने के हमारे अभियान को आगे बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि ईरान की तेल से होने वाली कमाई को बाधित करना क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।
इकाइयों की अमेरिकी संपत्तियां फ्रीज, लेनदेन पर प्रतिबंध
इन सभी संस्थाओं, जहाजों और व्यक्तियों की अमेरिका में स्थित संपत्तियां फ्रीज कर दी गई हैं और अमेरिकी नागरिकों तथा कंपनियों को उनके साथ किसी भी प्रकार का लेनदेन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अमेरिका ने स्पष्ट किया कि ये कदम दंडात्मक नहीं, बल्कि ईरान के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए हैं- हालांकि उल्लंघन पर गंभीर सिविल और आपराधिक दंड का प्रावधान है।
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