
वाशिंगटन। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत और अमेरिका (India and America) के बीच संबंध इस समय अपने सबसे निचले स्तर पर चल रहे हैं। दोनों देशों की तरफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की जा रही है। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald trump) के व्यापारिक सलाहकार (Business Consultant) नवारो ने भारत और चीन के बीच रिश्तों में फिर से आती गर्म जोशी को लेकर जहर उगला है। नवारो ने भारत के ऊपर तंज कसते हुए कहा कि वह चीन के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने उनके लद्दाख वाले हिस्से पर हमला किया था।
ब्लूमबर्ग टीवी टैनल को दिए एक इंटरव्यू में पीटर नवारो ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन वह तानाशाही वाले देशों… जैसे की चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। चीन के साथ आपका (भारत का) पिछले कई दशकों से संघर्ष चल रहा है। उन्होंने कई हिस्सों पर हमला किया और अक्साई चिन समेत कई हिस्सों को हड़प लिया। वह आपके दोस्त नहीं है… जहां तक रूस की बात है तो, अब मैं क्या ही कहूं।”
भारत को कल मिल जाए 25 फीसदी की छूट लेकिन… :नवारो
नवारो नहीं रुके उनसे जब पूछा गया कि क्या भारत को टैरिफ में छूट मिलेगी। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “यह बहुत ही आसान है। अगर भारत रूसी तेल को खरीदना बंद कर देता है और युद्ध को बढ़ावा देना बंद कर देता है तो उसे कल ही 25 फीसदी की छूट मिल सकती है। मैं हैरान हूं, मोदी एक महान नेता हैं, भारत एक परिपक्व देश है, जिसे परिपक्व देश चला रहे हैं। इसके बाद भी यह सब हो रहा है।” भारत के बारे में एक बात हमें परेशान कर रही है कि वह अहंकारी होकर लगातार यह बात कह रहे हैं कि यह हमारी संप्रभुता है कि हम जिससे चाहें उससे तेल खरीद सकते हैं। यह सही नहीं है।
भारत को टैरिफ का महाराज बता चुके है नवारो
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब नवारो ने भारत के खिलाफ अपने जहर को उगला हो। इससे पहले भी वह भारत को टैरिफ का महाराज कहते रहे हैं। हां… इतना जरूर है कि भारत पर आरोप लगाने से पहले नवारो अमेरिका के इतिहास और वर्तमान को देखने की कोशिश नहीं करते हैं। भारत रूसी तेल खरीद रहा है क्योंकि रूस भारत का मित्र देश है। अमेरिका ने ईरान के बाजार को पहले से ही प्रतिबंधित किया हुआ है। ऐसे में अगर भारत भी रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो वैश्विक तेल बाजार में भयंकर तेजी आ जाएगी और दाम बढ़ जाएंगे।
वहीं दूसरी और भारत को युद्ध पोषित करने वाला अमेरिका दशकों से पाकिस्तान को पालता आ रहा है। रूस के साथ भारत के व्यापार करने वाला अमेरिका खुद भी अपने रूसी व्यापार को बढ़ा रहा है। यहां तक की उसका साझेदार यूरोप भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को लिए रूस पर निर्भर है। लोकतांत्रिक देश होने के बाद भी अमेरिका का ज्यादातर व्यापार और सामान तानाशाह देश चीन में बनता है। दशकों की दुश्मनी होने के बाद भी कुछ दिन पहले ही रूस के राष्ट्र्पति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने की कसमें खाई थी।
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