
वाशिंगटन. छह अमेरिकी सांसदों (US lawmakers) ने नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल (Attorney General) को अमेरिकी न्याय मंत्रालय (dodge) द्वारा लिए गए ‘संदिग्ध’ फैसलों के खिलाफ पत्र लिखा है। इनमें कथित रिश्वत घोटाले (Bribery scandals) में उद्योगपति गौतम अदाणी (Industrialist Gautam Adani) के समूह के खिलाफ अभियोग का मामला भी शामिल है। सांसदों ने पत्र में आशंका जताई कि इससे ‘करीबी सहयोगी भारत के साथ संबंध खतरे में पड़ सकता है’।
पत्र लिखने वाले सांसदों में लांस गुडेन, पैट फॉलन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर. टिम्मोंस और ब्रायन बेबिन शामिल हैं। अमेरिकी सांसदों ने 10 फरवरी को अमेरिका की अटॉर्नी जनरल पामेला बेदी को पत्र लिखकर जो बाइडन के प्रशासन के तहत डॉज द्वारा लिए गए कुछ संदिग्ध निर्णयों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सौर बिजली के ठेके हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। अभियोजकों ने आरोप लगाया कि यह बात अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाई गई, जिनसे अदाणी समूह ने परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए थें। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई करने की अनुमति देता है, बशर्ते कि उनमें अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से जुड़े कुछ संबंध शामिल हों। अदाणी समूह ने इन आरोपों से इनकार किया है।
बाइडन की नासमझी से खतरे में पड़ी साझेदारी
अमेरिकी सांसदों ने साझा पत्र में कहा, इनमें से कुछ फैसलों में चुनिंदा मामलों को आगे बढ़ाना और छोड़ना, अक्सर देश और विदेश में अमेरिका के हितों के खिलाफ काम करना, भारत जैसे करीबी सहयोगियों के साथ संबंधों को खतरे में डालना शामिल है। बाइडन प्रशासन की इस नासमझी से साझेदारी खतरे में पड़ेगी।
भारत से संबंधों को नुकसान का खतरा
सांसदों ने कहा, बाइडन प्रशासन ने इस मामले को उपयुक्त भारतीय अधिकारियों को सौंपने के बजाय, बाइडन प्रशासन ने कंपनी के अधिकारियों को दोषी ठहराने का फैसला किया। किसी मामले को इस तरह से आगे बढ़ाने का कोई बाध्यकारी कारण नहीं है जो भारत जैसे सहयोगी के साथ संबंधों को जटिल बनाए, जब तक कि इसमें कुछ बाहरी कारक शामिल न हों।
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