
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) में इस बार सैयद सालार मसूद गाजी (Syed Salar Masood Ghazi) की याद में एक हजार साल से लगने वाला मेला (fair) नहीं लगेगा। पुलिस प्रशासन ने साफ कह दिया है कि किसी भी लुटेरे और आक्रांता की याद में मेला लगाने की इजाजत अब नहीं दी जाएगी। दूसरे पक्ष ने मांग की थी कि मसूद गाजी का महिमामंडन और गुणगान करने के लिए इस तरह के मेले की परमीशन ना दी जाए। मेला लगाने वाली कमेटी ने जब एएसपी श्रीशचंद्र से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि सालार मसूद गाजी लुटेरा और आक्रांता था। अब ऐसी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए और सोमनाथ मंदिर के लुटेरे की याद में नेजा मेला नहीं लगेगा।
कौन था आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी
भारत में लूटपाट करने के लिए विदेशी आक्रांता एक के बाद एक आते ही रहे हैं। मुगल भी उनमें से ही एक थे जो कि लंबे समय तक भारत पर शासन भी कर गए। अगर सबसे क्रूर शासकों की बात होती है तो महमूद गजनवी का नाम आता है। वह गजनी का रहना वाला था। उसने सोमनाथ के मंदिर पर हमला करके ना केवल लूटपाट की बल्कि शिवलिंग को भी खंडित कर दिया और मंदिर को तोड़ दिया। सैयद सालार मसूद गाजी मोहम्मद गजनवी का भांजा था। गजनवी ने उसे सेना की जिम्मेदारी दी थी और अपना सेनापति बनाया था।
सुहेलदेव से युद्ध में मारा गया था मसूद गाजी
1026 ईसवी में भीम प्रथन के शासन काल में मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनवी भारत आया था। वह जबरन धर्म परिवर्तन करवाता था और उसकी बात ना मानने वालों को कत्ल कर दिया जाता था। उसने भारतीय राजाओं को ललकारा। श्रीवस्ती के राजा सुहेलदेव राजभर ने उससे डटकर मुकाबला किया था। कई राजाओं ने मिलकर संयुक्त सेना तैयार की और सैयद सालार गाजी की सेना के छक्के छुड़ा दिए। करारी हार के बाद वह मारा गया।
सैयद सालार मसूद काजी की कब्र उत्तर प्रदेश के बहराइच में है। मुस्लिम शासकों के जमाने में ही इसका महिमामंडन किया गया और इसे दरगाह का रूप दे दिया गया। यहां बहुत सारे लोग पहुंचते हैं। यहां भी मेला लगता है जिसको लेकर कई बार विवाद हो चुका है। वहीं उसकी याद में ही संभल में नेजा मेला लगया है। होली के बाद इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार कमेटी 25 से 27 मार्च तक तीन दिन का मेला लगाने वाली थी। हालांकि इजाजत ना मिलने की वजह से अब मेला नहीं लगेगा।
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