
उत्तरकाशी। उत्तराखंड (Uttarakhand) के धराली में बाढ़ (Dharali Flood) से तबाही (Destruction) की सूचना पर हम रेस्क्यू के लिए निकल तो गए, लेकिन आगे क्या होना था, किसे मालूम था। अचानक सैलाब आया और हम सबको बहा ले गया। एक बार तो ऐसा लगा कि अब नहीं बचेंगे। सैलाब 300 मीटर तक आगे ले गया, लेकिन इसी के साथ बहकर आ रहे पेड़ सहारा बने। इन्हीं टूटे पेड़ों को पकड़कर हम किनारे तक पहुंचे।
हर्षिल में मौत के मुंह से बचकर आए सेना के जवानों (Army soldiers) का यही कहना था कि हमें दूसरा जीवन मिला है। उन्होंने बताया कि हमारी आंखों के सामने एक जेसीओ, एक हवलदार और सात अग्निवीर (Seven Agniveers) ओझल हो गए, जिनका अब तक पता नहीं चल पाया है। बता दें कि हर्षिल में घायल 11 जवानों समेत 13 को बुधवार को हेलीकॉप्टर से मातली लाया गया। यहां आईटीबीपी के अस्पताल में दस जवानों का उपचार जारी है जबकि एक जवान और दो लोगों को देहरादून स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल लाया गया। किसी के सिर और चेहरे तो किसी की आंख, हाथ, पैर और कमर में चोट है।
बचने की आस नहीं थी
यूपी के बलिया निवासी अग्निवीर सोनू सिंह बताते हैं कि उनको तब बचने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि मैं सैलाब में बहकर बीच नदी में चले गया था। मेरे सामने जेसीओ, हवलदार और कुछ अग्निवीर नदी में ओझल हो गए, जिन का पता नहीं चला, पर मेरी जान बच गई। लग रहा है, दूसरा जीवन मिला है।
बहते हुए किसी तरह किनारे तक पहुंचे
हरियाणा के ढाकी निवासी अग्निवीर दीपक बताते हैं कि हम 12 लोग एक स्थान पर थे। अचानक जलजला आया कि सात लोग कहां चले गए, कुछ पता ही नहीं चल पाया। अगर नदी में पेड़ और लकड़ियां बहकर नहीं आती तो मेरी जान नहीं बच पाती। एक से दूसरी लकड़ी का सहारा लेकर किसी तरह किनारे पहुंचकर जान बचाई।
…अब बच नहीं पाएंगे
हरियाणा के पलवल निवासी राइफलमैन हरेंद्र ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि धराली में बाढ़ आई है। सभी जवान एक जगह एकत्र हुए। अचानक सैलाब आया और हमें बहाकर ले गया, कुछ देर के लिए लगा कि अब जीवन नहीं बचेगा, पत्थरों से चोट लग रही थी और मलबा हमें धकेल रहा था, इस बीच एक पेड़ बहकर आया, उसके सहारे किसी तरह किनारे तक पहुंचा। पहली बार देखा ऐसा मंजर अटारी-बाघा बॉर्डर निवासी सेना के सिविल इंजीनियर अमरदीप सिंह कहते हैं कि उन्होंने जीवन में पहली बार तबाही का ऐसा मंजर देखा। उन्होंने बताया कि उस समय तेज बारिश हो रही थी और बादल गरज रहे थे। अचानक आई बाढ़ ने हमें अपनी चपेट में ले लिया और हम बहते चले गए। 50 मीटर बहने के बाद किसी तरह बच निकला।
टहनी से पेड़ तक पहुंचा
राजस्थान के सीकर निवासी अग्निवीर हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि हम अपराह्न तीन बजे धराली जाने के लिए तैयार थे, अचानक सैलाब आया और हमें बहा ले गया। मैं करीब 300 मीटर तक बहता चला गया। इस बीच पेड़ की टहनी मेरी पकड़ में आई। धीरे-धीरे पेड़ के पास पहुंचा और उसी के सहारे किनारे तक आया।
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