
चमोली। उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले (Chamoli district) के नंदानगर क्षेत्र (Nandanagar area) में आई प्राकृतिक आपदा (Natural disaster) कुंतरी फाली, सैंती और धुर्मा में कभी न भूलने वाले जख्म दे गई। इन गांवों में चारों तरफ चीख पुकार मची है। लोग अपनों की तलाश में बदहवास भटक रहे हैं। जिंदगी की जद्दोजहद के बीच 42 वर्षीय कुंवर सिंह को 18 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकाल लिया गया। उनकी 38 वर्षीय पत्नी और दो बेटों को भी जिंदा निकालने के प्रयास चल रहे हैं।
प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवानों के साथ स्थानीय ग्रामीण आपदा प्रभावित इन तीन गांवों में मलबे के ढेर में जिंदगी की तलाश में लगे हैं। यहां आपदा के बाद से ही कुंतरी फाली गांव में मलबे में दबे कुंवर सिंह के परिवार के सदस्यों की बचाने की आवाज आ रही थी। उनके रिश्तदोंरो ने इन आवाजों के आधार पर परिवार के चारों सदस्यों के जिंदा होने की पुष्टि राहत टीमों से की तो फिर मलबे से जिंदगी की तलाश शुरू हुई। 18 घंटे बाद कुंवर सिंह को जिंदा निकालने में सफलता मिली। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। जबकि कुंवर सिंह की पत्नी कांता देवी, बेटे विकास और विशाल अभी भी मलबे में दबे हैं। रिश्तेदारों और गांव वालों के मुताबिक उनकी आवाजें भी लगातार मलबे के ढेर से आ रही हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान मकान के अंदर फंसे लोगों को निकालने की कोशिश में जुटे हैं।
लोगों को नहीं मिला संभलने तक का मौका
बुधवार रात को आई भारी बारिश ग्रामीणों के घरों, खेत-खलिआनों और रोजी रोटी के लिए जमा पूंजी को बहाकर ले गई। नंदानगर के व्यापारी नंदन सिंह रावत ने बताया कि आधी रात को तेज गर्जना के साथ क्षेत्र में बारिश होनी शुरू हुई। अनहोनी के बीच लोग कभी अपने घरों में और कभी घर से बाहर आ रहे थे। लेकिन फाली कुंतरी सहित पूरे क्षेत्र में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। ग्रामीण व आसपास के लोग भी मलबे में जिन्दगी को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं। लापता लोगों के परिजन बेसेध होकर मलबे में दबे घरों को निहार रहे हैं।
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