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Uttarakhand: UCC लागू होने के 10 दिन बीते, अब तक सिर्फ एक कपल को लिव-इन रिलेशनशिप की मंजूरी

February 07, 2025

नई दिल्‍ली । उत्तराखंड (Uttarakhand)में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होने के 10 दिन बाद सिर्फ एक कपल (Couple)को लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in relationship)में रहने की मंजूरी मिली है. अधिकारियों के मुताबिक पोर्टल पर महज 10 दिन में लिव-इन कपल्स के कुल 5 आवेदन मिले हैं, जिनमें से एक को मंजूरी दी गई है, जबकि 4 अन्य रजिस्ट्रेशन को वैरिफाई किया जा रहा है.

बीजेपी शासित उत्तराखंड 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया था. इस कानून के तहत सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक और संपत्ति से जुड़े निजी कानूनों को समान बनाया गया है.


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर एक पोर्टल लॉन्च किया था, जिसे शादी, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप के अनिवार्य ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए बनाया गया है. उन्होंने खुद इस पोर्टल पर अपनी शादी का पहला पंजीकरण किया था. हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप की अनिवार्य रजिस्ट्रेशन की शर्त को कई लोगों ने निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है. इस पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लिव-इन कपल्स के रजिस्ट्रेशन से दिल्ली में हुए श्रद्धा वॉकर हत्याकांड जैसी घटनाओं को रोका जा सकेगा.

UCC पर अलग-अलग राय

पीटीआई के मुताबिक उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील कर्तिकेय हरि गुप्ता ने इस कानून को ‘निजी जीवन में दखल’ करार दिया और कहा कि यह किसी पुलिस स्टेट जैसा कदम है, जो संविधान निर्माताओं की सोच से मेल नहीं खाता. वहीं, हाईकोर्ट के एक अन्य वकील दुष्यंत मैनाली ने कहा कि शुरुआती प्रतिक्रिया से पता चलता है कि लोग इस कानून को लेकर उत्साहित नहीं हैं. अगर ऐसा होता, तो कम से कम वे लोग जो सरकार की ड्राफ्टिंग कमेटी से चर्चा के दौरान इसके समर्थन में थे वे आगे आकर रजिस्ट्रेशन कराते. उन्होंने कहा कि कम पंजीकरण के पीछे एक कारण ये भी हो सकता है कि लोग अपने निजी संबंधों की जानकारी सार्वजनिक रूप से शेयर करने के लिए तैयार नहीं हैं, या फिर वे UCC के नियमों से पूरी तरह अवगत नहीं हैं.

क्या कहता है नियम?

UCC के अनुसार अगर कोई लिव-इन कपल अपने रिश्ते का विवरण एक महीने के भीतर पंजीकृत नहीं कराता है, तो उसे तीन महीने की जेल, 10,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं. अगर नोटिस मिलने के बाद भी पंजीकरण नहीं कराया जाता, तो यह सजा बढ़कर 6 महीने की जेल और 25,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकती है. हालांकि, मैनाली ने कहा कि अभी किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. जैसे-जैसे लोग UCC और इसके प्रावधानों को समझेंगे, वे इसका अनुपालन कर सकते हैं.

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