
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी (Uttarkashi) के धराली और हर्षिल घाटी (Dharali and Harshil Valley) के गांवों में राशन का संकट (Ration crisis) गहरा रहा है। सड़कें बंद होने से जरूरी सामान की सप्लाई (Essential Goods Supply) भी पिछले दस दिन से ठप है। नमक, तेल, मसाले, चीनी और चायपत्ती तक के लिए लोग भटक रहे हैं। गांवों में सब्जियों की सभी दुकानें बंद हो चुकी हैं। अधिकांश लोग सरकारी राशन के भरोसे गुजर-बसर कर रहे हैं। जल्द रास्ते नहीं खुले तो इसका भी संकट खड़ा हो सकता है। शासन-प्रशासन (Governance) का फोकस धराली रेस्क्यू में होने के कारण पूरी मदद भी नहीं मिल पा रही है।
सड़क से टूटा संपर्क
पांच अगस्त को आई आपदा की सबसे बड़ी मार धराली-हर्षिल पर पड़ी है, लेकिन आसपास के क्षेत्र भी इससे कम त्रस्त नहीं हैं। डबरानी के पास गंगोत्री हाईवे टूटने से हर्षिल घाटी के आठ गांवों का सड़क संपर्क 10 दिनों से कटा हुआ है। झाला, जसपुर, पुराली, बगोरी, मुखबा आदि की करीब 12 हजार आबादी सरकारी राशन के भरोसे जी रही है। जिला पूर्ति विभाग के मुताबिक, झाला स्थित सरकारी गोदाम में अब सिर्फ 150 क्विंटल चावल और इतना ही गेहूं बचा है। ऐसे में यदि जल्द सप्लाई सुचारु नहीं हुई तो राशन का संकट बड़ी चुनौती होगा।
जिला पूर्ति अधिकारी आशीष कुमार ने कहा, झाला स्थित सरकारी गोदाम में सिर्फ 150 क्विंटल चावल और इतना ही गेहूं बचा है। इस गोदाम से ही आपदा प्रभावित क्षेत्र के राहत शिविरों और राहत-बचाव टीमों के लिए खाद्यान्न सप्लाई किया जा रहा है। हाईवे खुलने पर अगले छह माह का राशन भी बांट दिया जाएगा।
उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्य ने बताया गांवों में खाद्य संकट की स्थिति से निपटने के लिए टीमें लगाई जा रही हैं। उन्हें झाला स्थित सरकारी गोदाम से बचा हुआ राशन सप्लाई किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में सड़कें खुलने की उम्मीद है। इसके बाद राशन आदि का संकट दूर हो जाएगा।
जुलाई में राशन मिलने से अभी तक चल रहा काम
सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान संचालक कपिल राणा बताते हैं कि जुलाई के अंत में सरकारी राशन मिलने के कारण अभी तक काम चल रहा है। लेकिन अब सस्ते गल्ले की दुकानों में भी राशन खत्म हो चुका है। ऐसे में जल्द सप्लाई नहीं पहुंची तो लोगों के पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं।
23 में से 14 दुकानें दस दिन में बंद हो गईं
परचून की दुकान चलाने वाले राकेश राणा बताते हैं कि जो दुकानें खुली हैं, उनके पास भी गिनती का ही सामान बचा है। नमक, चीनी, चायपत्ती जैसी जरूरी चीजें भी इन दुकानों पर उपलब्ध नहीं हैं। सप्लाई ठप होने से इलाके की 23 में से 14 परचून की दुकानें पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। इससे दिक्कत हो रही है।
गैस खत्म, लकड़ी पर पक रहा खाना
झाला के केदार सिंह बताते हैं कि उनके पास दो सिलेंडर थे। एक सिलेंडर पहले ही खाली पड़ा था। सोचा था बरसात रुकने के बाद भराऊंगा। अब दोनों सिलेंडर खाली हो चुके हैं। लकड़ी बीनकर चूल्हे में खाना बना रहे हैं।
दिन-रात दाल खाकर चला रहे हैं काम
सुक्की गांव के निवासी महेंद्र सिंह राणा बताते हैं कि उनके घर में भी राशन लगभग खत्म हो चुकी है। परिवार में तीन दिन से किसी तरह की सब्जी नहीं बनी है। दिन-रात रोटी-चावल के साथ दाल ही खा रहे हैं। महेन्द्र कहते हैं कि उनके पास पर्याप्त आटा था लेकिन पड़ोसियों की मदद करने में उन्होंने इसे खर्च कर दिया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved