
नई दिल्ली । संसद के मानसून सत्र का ज्यादातर कार्यकाल इस बार कृषि कानून और पेगासस जासूसी मामले पर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। जहां लोकसभा (Loksabha) को सत्र खत्म होने से दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल (Indefinitely)के लिए स्थगित (Adjourned) कर दिया गया, वहीं राज्यसभा (Rajyasabha) में विपक्ष का हंगामा (Uproar) इतना बढ़ गया कि सदन के अध्यक्ष वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) भावुक हो गए (Gets emotional) ।
किस घटना पर जताया गुस्सा ? : बताया गया है कि विपक्ष के कुछ सांसद मंगलवार को सदन में स्थित अफसरों और रिपोर्टरों की टेबल पर चढ़ गए थे। उनमें से एक सांसद ने तो सभापति की तरफ फाइल भी फेंक दी थी। बुधवार को इसी मुद्दे पर बोलते हुए नायडू ने कहा कि रिपोर्टरों की टेबल संसद के मंदिर का पवित्र स्थल मानी जाती है। लेकिन सांसदों ने इसे अपवित्र कर दिया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि इस सदन का सभापति होने की वजह से मैं लोकतंत्र के इस मंदिर के अपवित्र किए जाने की घटनाओं को देखकर खौफ महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मंगलवार की घटनाओं की वजह से उन्हें रात भर नींद नहीं आई और वे अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि आखिर ऐसी क्या भड़काऊ बात थी, जिसके चलते अगस्त में चलने वाले इस सदन में इतनी गिरी हुई हरकतें हुईं। इस बीच सूत्रों के हवाले से सामने आया है कि नायडू कल राज्यसभा में हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह, सदन के नेता पीयूष गोयल और अन्य भाजपा सांसदों ने आज सुबह वेंकैया नायडू से मुलाकात की।
प्रताप सिंह बाजवा ने सभापति की तरफ रूलबुक फाड़ कर फेंकी : वेंकैया नायडू जिस घटना का जिक्र कर रहे थे, उसके केंद्र में कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा का नाम है। हंगामे का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें बाजवा को टेबल पर चढ़कर रूलबुक फाड़ते और उसे नायडू की तरफ उछालते देखा जा सकता है । इस घटना पर कांग्रेस नेता ने यहां तक कह दिया कि मुझे कोई पछतावा नहीं है। अगर सरकार हमें तीन काले कृषि विरोधी कानूनों पर चर्चा करने का मौका नहीं देती है तो मैं ऐसा 100 बार फिर से करूंगा।’
बाजवा बोले, ‘मुझे खुशी होगी अगर सरकार किसानों के मुद्दों को उजागर करने और किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग करने के लिए मुझे दंडित करेगी। एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं किसानों और उनके मुद्दों के साथ खड़ा हूं।’
भाजपा सांसद बोले- निंदा के लिए शब्द नहीं: केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा, “उच्च सदन में गिरावट लगातार जारी है। कांग्रेस वहां नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। सदन को नहीं चलने देना, मंत्री के हाथ से कागज़ छीनकर फाड़े गए। कल तो आसन्दी पर पुस्तकें फेंकी गई। निंदा के लिए शब्द नहीं हैं।”
उधर केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई माननीय सांसद (प्रताप सिंह बाजवा) रूल बुक लेकर चेयर पर फेंके और अधिकारियों की टेबल पर चढ़े। ये दुर्भाग्यपूर्ण नज़ारा है, अगर वो इसपर सफाई देते हैं तो ये और दुर्भाग्यपूर्ण है।”
लोकसभा अध्यक्ष बोले- अपेक्षा के अनुरुप नहीं हुआ कामकाज: उधर लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि 17वीं लोकसभा का 6वां सत्र आज सम्पन्न हुआ। इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ। इसे लेकर मेरे मन में दुख है। मेरी कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो। लेकिन इस बार लगातार गतिरोध रहा। ये गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया। पिछले 2 वर्ष संसद के कामकाज की दृष्टि से अधिक उत्पादकता वाले रहे। इसबार कुल उत्पादकता 22% रही। 20 विधेयक पारित हुए।
उन्होंने आगे कहा, “सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मर्यादाओं को बनाए रखें। हमारी संसदीय मर्यादाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं। मेरा सभी सांसदों से आग्रह है कि संसदीय परंपराओं के अनुसार सदन चले। तख्तियां और नारे हमारी संसदीय परंपराओं के अनुरुप नहीं हैं।”
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