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विजय सिन्हा का तेजस्वी यादव पर पलटवार, दोहरे EPIC मामले में दी सफाई; बताई तकनीकी चूक

August 10, 2025

पटना: बिहार (Bihar) के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) पर राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दोहरे EPIC (Electors Photo Identity Card) और उम्र में हेरफेर का सनसनीखेज आरोप लगाया. तेजस्वी यादव ने दावा किया कि सिन्हा का नाम लखीसराय (EPIC: IAF3939337, उम्र 57) और बांकीपुर, पटना (EPIC: AFS0853341, उम्र 60) की मतदाता सूची में है. इस मामले को लेकर तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग (Election Commission) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए. हालांकि, इसके जवाब में विजय सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सफाई पेश की.

डिप्टी सीएमविजय सिन्हा ने बताया कि उनका परिवार बांकीपुर, पटना की मतदाता सूची में दर्ज था. अप्रैल 2024 में उन्होंने लखीसराय में अपना नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया और साथ ही बांकीपुर से नाम हटाने का फॉर्म भरा. हालांकि, तकनीकी कारणों से उनका नाम बांकीपुर से नहीं हटा. विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची में दोहरे नाम की जानकारी मिलने पर उन्होंने 5 अगस्त 2024 को बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के जरिए फिर से नाम हटाने का आवेदन किया था. उन्होंने इसकी रसीद भी मीडिया के सामने दिखाई.


विजय सिन्हा ने अपने दो मतदाता पहचान पत्र में उम्र में अंतर (57 और 60 वर्ष) के आरोप पर कहा कि यह गलती को सुधारने के लिए आवेदन किया गया था. उन्होंने दावा किया कि उनकी उम्र प्रमाणपत्र के अनुसार सही है और एक महीने का त्रुटि सुधार का समय उपलब्ध है. विजय सिन्हा ने 30 अप्रैल 2024 को ऑनलाइन आवेदन के दस्तावेज पेश किए जिसमें बांकीपुर से नाम हटाने और उम्र सुधार की मांग थी. उन्होंने इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया.

विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव के आरोपों को ‘जंगलराज की संस्कृति’ करार देते हुए कहा कि राजद नेता संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव के कुनबे पर ‘बूथ से जिन्न निकालने’ के आरोप लगते रहे हैं, जबकि भाजपा ऐसी संस्कृति में विश्वास नहीं रखती. डिप्टी सीएमने जोर देकर कहा कि उनकी ओर से कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ और यह केवल प्रशासनिक त्रुटि है, जिसे सुधारा जा रहा है.

यह मामला जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 17 और 18 के उल्लंघन से जुड़ा है जो दोहरे मतदाता पंजीकरण को गैरकानूनी मानता है. यह विवाद मतदाता सूची की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है. जानकारों का कहना है कि ऐसी त्रुटियां तकनीकी हो सकती हैं, लेकिन इनका समय पर सुधार जरूरी है.बहरहाल, इस विवाद ने बिहार में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को लेकर जनता में बहस छेड़ दिया है.

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