नई दिल्ली। दो अलग-अलग राज्यों में मतदाताओं (Voters) को एक जैसे मतदाता पहचानपत्र नंबर जारी करने का मामला गरमाया हुआ है। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने रविवार को कहा कि एक जैसे नंबर का मतलब यह नहीं कि वे फर्जी मतदाता हैं। ईसी ने यह भी कहा कि कुछ मतदाताओं के मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण अलग-अलग हैं।
ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी वोटर अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां वह मतदाता सूची में पंजीकृत है। इसके अलावा वह कहीं और मतदान नहीं कर सकता।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटाबेस को ‘ईआरओएनईटी’ मंच पर डालने से पहले विकेंद्रीकृत और मैन्युअल प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इसके कारण विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान EPIC संख्या आवंटित की गई थी। निर्वाचन आयोग ने बताया कि इसके चलते कुछ राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक ही ईपीआईसी अक्षरांकीय श्रृंखला का उपयोग कर रहे हैं। विभिन्न राज्यों में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं को एक जैसे ईपीआईसी नंबर आवंटित किए जाने की गुंजाइश है।
EPIC नंबर देना क्यों जरूरी
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, ERONET एक जैसी एंट्री को हटाकर और एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित होने वाले मतदाताओं को शामिल करके चुनावी प्रणाली को बनाए रखने में निर्वाचन अधिकारियों को मदद करता है। इसने कहा, ‘किसी भी शंका को दूर करने के लिए आयोग ने निर्णय लिया है कि रजिस्टर्ड मतदाताओं को विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करना सुनिश्चित किया जाए। एक जैसे ईपीआईसी नंबर के किसी भी मामले को एक विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करके ठीक किया जाएगा।’ निर्वाचन आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में सहायता और सहयोग के लिए ईआरओएनईटी 2.0 मंच को अपडेट किया जाएगा।
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