
नई दिल्ली. भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच अपाचे हेलीकॉप्टर (Apache helicopter ) को लेकर साल 2020 में डील हुई थी. इनकी डिलीवरी जून 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन सप्लाई चेन में देरी के कारण इसे दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया. अब भी कोई तय तारीख नहीं है. अमेरिका के साथ 600 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत भारतीय सेना (Indian Army) को छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने थे. जिनकी तैनाती पाकिस्तान बॉर्डर (Pakistan border) पर होनी थी.
मार्च 2024 में राजस्थान के जोधपुर स्थित नागतलाव में भारतीय सेना की पहली अपाचे स्क्वाड्रन तैयार की गई थी. पायलटों और ग्राउंड स्टाफ की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है, लेकिन हेलीकॉप्टरों की अनुपस्थिति के कारण वो इंतजार कर रहे हैं.
पाकिस्तान बॉर्डर पर होनी थी तैनाती
अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टरों को सेना के पश्चिमी मोर्चे पर तैनात किया जाना था, जिससे पाकिस्तान सीमा पर रक्षा और आक्रमण क्षमता मजबूत होती. ये हेलीकॉप्टर आधुनिक हथियारों, सटीक टारगेटिंग और बेहतरीन गतिशीलता के लिए जाने जाते हैं.
भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे
भारतीय वायुसेना ने 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर अपने बेड़े में शामिल किए थे. लेकिन भारतीय सेना अब भी अपने पहले बैच की डिलीवरी का इंतजार कर रही है.
भारतीय सेना की एविएशन कोर जमीनी अभियानों में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई है. इसमें कई तरह के हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट शामिल हैं.
ALH ध्रुव: यह स्वदेशी मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट, टोही और रेस्क्यू मिशनों के लिए किया जाता है. जनवरी में ICG ALH के क्रैश होने के बाद इस पूरी फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया है.
रुद्र: ALH ध्रुव का सशस्त्र संस्करण, जिसे क्लोज एयर सपोर्ट और एंटी-टैंक मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है. फ्लीट को HAL द्वारा सुरक्षा जांच के लिए रोका गया है.
चीता और चेतक: हल्के उपयोग वाले हेलीकॉप्टर, जिनका इस्तेमाल टोही, चिकित्सा निकासी और रसद कार्यों के लिए किया जाता है.
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH): ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया यह हेलीकॉप्टर है. जो थल सेना की ताकत बढ़ाने के साथ ऑफेंसिव मिशन भी कर सकता है.
फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट
डॉर्नियर 228: हल्का ट्रांसपोर्ट विमान, जिसका उपयोग टोही, लॉजिस्टिक्स और संचार कार्यों के लिए किया जाता है.
मानव रहित हवाई वाहन (UAVs)
हेरॉन: मीडियम-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस UAV, जिसका उपयोग निगरानी और टोही कार्यों के लिए किया जाता है.
Mi-17: मीडियम-लिफ्ट हेलीकॉप्टर, जिसे सैनिकों के परिवहन, रसद और बचाव अभियानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
भारतीय सेना की एविएशन कोर इन सभी संसाधनों का उपयोग कर जमीनी अभियानों को सहयोग देने टोही मिशन चलाने, रसद आपूर्ति और हताहत निकासी जैसे कार्यों को अंजाम देती है. इससे सेना की संचालन क्षमता कई गुना बढ़ जाती है.
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