
नई दिल्ली । पाकिस्तान(Pakistan) में इस साल आई विनाशकारी बाढ़ (Devastating floods)के लिए भारत को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया(not guilty plea) जा सकता। जल विज्ञान विशेषज्ञों ने बुधवार को यह स्पष्ट किया है। इसके बाद पाकिस्तान के झूठे दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। इससे पहले पाकिस्तानी मीडिया और यहां तक कि पाक के कुछ अधिकारियों ने भी दावे किए थे कि पाकिस्तान में भारत द्वारा पानी छोड़े जाने की वजह से ही बाढ़ आई। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि भारत ने जानबूझकर ऐसा कोई कदम उठाया।
गौरतलब है कि भारत के उत्तर-पश्चिम हिस्से और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अगस्त के मध्य से ही मूसलाधार बारिश हो रही है, जिसके कारण लगभग सभी नदियां और सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पाक पंजाब की प्रांतीय सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि मानसूनी बारिश और भारत की ओर से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने से तीन पूर्वी नदियां, सतलुज, रावी और चिनाब का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार 26 जून से 31 अगस्त तक पंजाब प्रांत में 209 मौतें हो चुकी हैं। वहीं विनाशकारी बाढ़ के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। इस दौरान 2,000 से ज्यादा गांव जलमग्न हो गए हैं।
पाक के दावों पर क्या बोले विशेषज्ञ?
इसके बाद‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने बांध से पानी छोड़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए विशेषज्ञों से बात की। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि मुख्य बाढ़ का पानी सीधे भारत से पाकिस्तान में नहीं आता। बल्कि, यह पहले कई भारतीय कस्बों और गांवों से होकर गुजरता है और सीमा पार करने से पहले 100-150 किलोमीटर का सफर तय करता है। टफ्ट्स विश्वविद्यालय के शहरी जल विशेषज्ञ डॉ. हसन एफ. खान ने बताया कि हर बांध में दो मुख्य प्रणालियां होती हैं, नियमित पानी छोड़ने वाले गेट और पानी के रिसने वाली जगह ‘स्पिलवे’। पानी छोड़ने के लिए नियमित गेट का उपयोग कृषि जैसी जल आपूर्ति आवश्यकताओं के लिए किया जाता है और इन्हें सामान्य निकास माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब कोई बांध अपनी अधिकतम क्षमता तक भर जाता हैतो संरचनात्मक क्षति के जोखिम के कारण पानी को रोका नहीं जा सकता।’’
पानी छोड़ना असामान्य नहीं
डॉ. हसन के अनुसार भारत ने हाल के दिनों में कई बांधों से पानी छोड़ा है क्योंकि उनकी क्षमता पूरी हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘भारत भी यही कह रहा है। लेकिन इस तरह का पानी छोड़ना असामान्य नहीं है।’’ उनके मुताबिक इस साल इस क्षेत्र में आई बाढ़ में अत्यधिक वर्षा और मौसम दोनों की भूमिका रही। उन्होंने बताया, “भारत में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई, खासकर हिमाचल प्रदेश में, जिससे नदियों में पानी का प्रवाह बढ़ गया। भारत को सतलुज और रावी नदियों में भी पानी छोड़ना पड़ा।”
भारत ने दिखाई थी दरियादिली
इससे पहले भारत ने पाकिस्तान को सतलुज नदी में बाढ़ की उच्च संभावना के बारे में चेतावनी भी दी थी। भारत ने मानवीय आधार पाकिस्तान को सचेत किया था जिसके बाद इलाके को खाली कराया गया था। एक सवाल के जवाब में, डॉ. हसन ने जोर देकर कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने के लिए पानी छोड़ा। उन्होंने कहा, “अटकलें तो लगाई जा सकती हैं, लेकिन हमें जानबूझकर की गई कार्रवाई का कोई सबूत नहीं मिला है।”
वहीं लंदन के किंग्स कॉलेज में जल संसाधन भूगोल के प्रोफेसर डॉ. दानिश मुस्तफा ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “पानी तब छोड़ा जाता है जब किसी जलाशय की सुरक्षित डिजाइन क्षमता पार हो जाती है। कोई भी बुनियादी ढांचा मानसून के पानी के चरम प्रवाह को नहीं रोक सकता। ज्यादा बारिश का मतलब है ज्यादा पानी, यह इतना आसान है। दरअसल भारत ने पाकिस्तान से भी ज्यादा तबाही झेली है, क्योंकि जब तक पानी हम तक पहुंचता है, तब तक उसका बल कम हो चुका होता है।
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