
सीहोर। इस सृष्टि में हम जिस विपत्ति को कांटों की चुभन की तरह कष्टकर समझते हैं, उसका भी हमसे गुलाब के कांटों जैसा ही अनोखा रिश्ता है। गुलाब का कांटों के बीच खिलना हमारे जीवन के लिए प्रकृति का संदेश है। जीवन फूलों की सेज नहीं है, जैसे गुलाब में केवल कोमलता ही नहीं होती, उसी तरह जीवन भी सुख-दुख का संगम है। जिसने यह रहस्य समझ लिया, वह हर अभिशाप को भी वरदान बना लेता है।
उक्त विचार जिला मुख्यालय स्थित कुबेरेश्वरधाम (Kubereshwar Dham) पर मंगलवार से आरंभ हुई सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव के पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं से पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) ने कहे। उन्होंने कहा कि गुलाब का फूल और मनुष्य का शरीर दुखों और कांटों के मध्य रहता है। हमें अपने जीवन को सरल और सहज बनाकर अपने आपको सुखी रखना है। शिव पुराण का यही संदेश है कि भगवान शिव की आराधना करने वाला दुखी नहीं रहता। भगवान भोलेनाथ की भक्ति में बहुत शक्ति है। भोलेनाथ पर विश्वास करने वालों की किस्मत पलट जाती है।
कथा के पहले दिन पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव के अनेक गुण हैं, लेकिन शांत रहना, समदर्शी, विनम्रता और सरलता आदि गुणों को श्रद्धालु अपना लें, तो शिव की प्राप्ति हो सकती है। जीवन में जब भी असफलता और निराशा आए, तो भगवान शिव पर भरोसा करें, वह आपको कामयाबी दिलाएंगे। भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता। जीवन में कोई जीव अकेला नहीं होता, कभी खुद को अकेला महसूस न करें।
शुभ कर्म में किसी के साथ का इंतजार न करें। अकेले भी कर्म और धर्म करने का मौका मिले, तो इसे गंवाना मत। शिव की आराधना कोई भी कर सकता है—चाहे सेठ हो या गरीब। भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे हैं। जीवन में जब भी भगवत नाम सुनने का अवसर प्राप्त हो, उससे विमुख नहीं होना चाहिए। परमात्मा अवतार धारण करके धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं।
कथा के श्रवण की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर भगवान का स्मरण करते हैं। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोलेनाथ की भक्ति में शक्ति होती है। भगवान भोलेनाथ कभी भी किसी भी मनुष्य की जिंदगी का पासा पलट सकते हैं।
बस भक्तों को भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए। जब भरोसा प्रबल हो जाए, तो शिव मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल रुद्राक्ष उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति का सागर है। सालभर में जो सात दिन हैं, उनमें पूरी आस्था और विश्वास के साथ भगवान शंकर की भक्ति करें। यहां से जो आता है, वह तीन माह बाद लौटकर आता है। यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में आस्था का प्रमुख देवालय है।
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि कुबेरेश्वरधाम पर आकर दिल से बाबा की भक्ति करें। हमारे अंदर का अहम और घमंड त्याग कर सच्चे मन से बाबा को याद करें। उन्होंने एक कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि एक जौहरी के पास दो हीरे थे—एक नकली और एक असली। वह अनेक स्थानों पर गया, लेकिन किसी ने इन हीरों की पहचान नहीं की।
लेकिन एक संत ने असली हीरे के बारे में बताते हुए कहा कि हीरा कितनी भी गर्मी सह ले, लेकिन अपना तत्व नहीं खोता। जो थोड़ी सी गर्मी पाकर गर्म हो जाए, वह कांच होता है, और जो अधिक गर्मी सहने के बाद भी अपने तत्व पर बना रहे, वही असली हीरा होता है। इसी तरह धन की गर्मी, पद की गर्मी और सत्ता की गर्मी में नहीं बहना चाहिए, बल्कि शिव की भक्ति में लीन होकर अपना जीवन सफल करना चाहिए।
पहले दिन सुबह रुद्राक्ष से निर्मित रुद्राक्ष शिवलिंग का पूर्ण विधि-विधान से अभिषेक किया गया, जो सुबह 9 बजे से आरंभ हुआ। दोपहर में शिव महापुराण का शुभारंभ किया गया। यह महोत्सव 3 मार्च तक चलेगा। इसके लिए विठलेश सेवा समिति और प्रशासन ने इस आयोजन के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की हैं।
महोत्सव को लेकर दो दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। रविवार रात तक पंडाल और डोम श्रद्धालुओं से भर चुके थे। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने पंडाल की भोजनशाला में हजारों श्रद्धालुओं को नुक्ती, मिक्सचर, रोटी, सब्जी और खिचड़ी-चावल का प्रसाद वितरित किया।
महोत्सव में 27 फरवरी से 1 मार्च तक प्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुति देंगे। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से 2000 से अधिक सेवादार व्यवस्था के लिए पहुंचे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 3000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। कथा में शामिल होने के लिए देशभर से लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है।
आयोजन के लिए चार लाख स्क्वायर फीट में पांच डोम और भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जो फुल हो गए हैं। शिवमहापुराण समारोह को लेकर ट्रैफिक पुलिस द्वारा पहले ही पार्किंग व्यवस्था और रूट डायवर्ट किया गया था। भक्तों को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हजारों की संख्या में पुलिस के जवान दिन-रात अपनी सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन ने भी एक दर्जन से अधिक विभागों के आला अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। समिति और प्रशासन ने दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और कथा श्रवण के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं।
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