
संयुक्त राष्ट्र । रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergei Lavrov) ने कहा कि हम भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करते हैं (We fully respect India’s National Interests) ।
रूस और भारत की दोस्ती अमेरिका को खूब खटक रही है। यही कारण है कि रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका भारत के ऊपर मनमाना टैरिफ लगा रहा है। हालांकि, रूस और भारत ने एक बात साफ कर दी है कि चाहे कुछ भी हो जाए, रूस और भारत की दोस्ती अडिग है। दरअसल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-रूस के रिश्ते और तेल व्यापार को लेकर कहा कि हम भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने के लिए जो विदेश नीति अपना रहे हैं, हम उसका पूरा सम्मान करते हैं। हमारे बीच बड़े स्तर पर नियमित संपर्क बना रहता है।
लावरोव ने कहा, “भारत और अमेरिका या भारत और अन्य किसी देश के बीच जो स्थिति उत्पन्न होती हैं, मैं उन्हें रूस और भारत के रिश्तों का मानदंड नहीं मानता हूं। हमारे बीच लंबे समय से रणनीतिक साझेदारी है, फिर एक समय आया जब हमारे भारतीय मित्रों ने इस शब्द को पूरक बनाने का प्रस्ताव रखा और अब हम इसे विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी कहते हैं।” उन्होंने कहा कि इस साल भारत के विदेश मंत्री और मेरे सहयोगी एस जयशंकर रूस का दौरा करेंगे और मैं भारत का दौरा करूंगा। हमारे बीच नियमित रूप से विचारों का आदान-प्रदान होता है। मैं यह भी नहीं पूछ रहा कि हमारे व्यापारिक संबंधों या तेल का क्या होगा? लावरोव ने कहा, “मैं तो भारतीय सहयोगियों से यह सवाल नहीं करता, क्योंकि वह फैसले खुद लेने में पूरी तरह से सक्षम हैं।”
भारत ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि अपने विकास और फायदे के लिए किसी दूसरे देश की शर्तों पर नहीं चलेगा। अमेरिका ने न केवल भारत के ऊपर अधिक टैरिफ लगाए, बल्कि दंडात्मक शुल्क भी लगाया। बावजूद इसके भारत ने साफ कर दिया कि अमेरिका के सामने वह नहीं झुकेगा। यूएनजीए में भी भारत ने अमेरिका के दोहरे मापदंडों को लेकर घेरा। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अब हम टैरिफ में अस्थिरता और बाजार में अनिश्चितता देख रहे हैं। उन्होंने यूएनजीए में अमेरिका का नाम लिए बिना उसके “दोहरे मानदंडों” का भी जिक्र किया, जिसमें एस जयशंकर ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर दंडात्मक शुल्क लगाना, जबकि अन्य देशों पर नहीं लगाने की ओर इशारा किया। इसका ताजा उदाहरण संयुक्त राष्ट्र महासभा ( यूएनजीए) में देखने को मिला, जब न केवल भारत ने बिना नाम लिए अमेरिका के दोहरे मापदंड के लिए उसे घेरा, बल्कि रूस ने भी भारत का समर्थन किया।
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