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रूसी तेल खरीदना बंद नहीं किया, जो फायदेमंद होगा वही करेंगे; टैरिफ विवाद पर भारतीय कंपनियों की दो टूक

August 15, 2025

नई दिल्‍ली । अमेरिकी राष्ट्रपति(us President) डोनाल्ड ट्रंप (donald trump)ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय वस्तुओं(Indian Items) पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ(Tariff) लगाया था। इसके बावजूद, भारत की सरकारी तेल रिफाइनरों पर कोई असर नहीं पड़ा। रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर इन रिफाइनरों की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि खरीदारी का फैसला पूरी तरह आर्थिक और वाणिज्यिक आधार पर ही हो रहा है।


रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के हफ्तों में रूस से तेल आयात में कमी आई है, जिसे कुछ विशेषज्ञ अमेरिका को संदेश देने के तौर पर देख रहे थे। लेकिन इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के चेयरमैन अरविंदर सिंह सहनी ने स्पष्ट किया कि यह गिरावट मुख्य रूप से रूसी कच्चे तेल पर मिलने वाले डिस्काउंट में कमी के कारण है, न कि किसी राजनीतिक दबाव के चलते।

सहनी ने कहा, “हमें सरकार की ओर से कोई निर्देश या संकेत नहीं मिला है। हम अपने क्रूड ऑयल की खरीदारी पूरी तरह आर्थिक पहलुओं के आधार पर कर रहे हैं। न तो खासतौर पर आयात बढ़ाने की कोशिश हो रही है और न ही घटाने की।” हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक विकास कौशल ने भी पिछले हफ्ते यही रुख दोहराया था। उनका कहना था, “हम रूसी क्रूड खरीदना बंद नहीं कर रहे हैं, जो भी आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, वही खरीदा जाएगा।”

अप्रैल-जून तिमाही में IOC के आयात बास्केट में रूसी तेल की हिस्सेदारी घटकर करीब 24 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह लगभग 30 प्रतिशत थी। सहनी का अनुमान है कि यह स्तर आगे भी इसी दायरे में रहेगा, हालांकि डिस्काउंट गहराने पर खरीद बढ़ सकती है और घटने पर थोड़ी कमी आ सकती है।

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के निदेशक (वित्त) वेट्सा रामकृष्णा गुप्ता ने कहा कि कंपनी के आयात बास्केट में रूसी तेल की हिस्सेदारी 30-35 प्रतिशत बनी रहेगी, बशर्ते उस पर कोई नया प्रतिबंध न लगे। उन्होंने बताया कि पिछले महीने रूसी तेल पर मिलने वाला डिस्काउंट घटकर केवल 1.5 डॉलर प्रति बैरल रह गया, जिसके कारण कुछ आयात पश्चिम अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और अमेरिका से किया गया।

भारत का रुख स्पष्ट है कि ऊर्जा आयात पर निर्भर देश होने के नाते, वह जहां से भी सस्ता और कानूनी तौर पर उपलब्ध तेल मिलेगा, वहीं से खरीदेगा। वर्तमान में रूसी तेल पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं है, बल्कि केवल मूल्य सीमा (प्राइस कैप) लागू है, जिसका पालन भारतीय रिफाइनर कर रहे हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, पश्चिमी देशों का दबाव रूस को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर करने की रणनीति का हिस्सा है। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम थी, जो अब बढ़कर 35-40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह बदलाव तब शुरू हुआ जब पश्चिमी देशों ने रूसी तेल से दूरी बनाई और रूस ने आकर्षक डिस्काउंट देकर नए खरीदारों को जोड़ा, जिसमें भारत सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा।

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