
नई दिल्ली: भारत पर रूस से तेल खरीदी पर अमेरिकी दबाव के बीच शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) का बड़ा सामने आया है. वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत रूसी तेल (Russian Oil) खरीदना जारी रखेगा. उन्होंने दोहराया कि देश अपनी ऊर्जा जरूरतों और हितों के आधार पर ही फैसले करेगा. सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा, भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा. हमें अपनी जरूरतों के अनुसार तय करना है कि हमें कहां से तेल खरीदना है. यह हमारा फैसला होगा. वित्त मंत्री का यह बयान दिखाता है कि भारी टैरिफ के बावजूद भारत अमेरिकी दबाव में आने वाला नहीं है.
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है. इसमें 25 फीसदी टैरिफ रूसी तेल खरीदने को लेकर पेनल्टी के तौर पर लगाया है और 25% रेसिप्रोकल यानी का जवाबी टैरिफ है. ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ रूसी तेल खरीद को लेकर लगाया गया है. ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि IEEPA (इंटरनेशनल इमरजेंसी इकॉनमिक पावर एक्ट) के तहत भारत पर ये टैरिफ लगाया है, ताकि यूक्रेन युद्ध से जुड़ी राष्ट्रीय आपात स्थिति से निपटा जा सके और उस युद्धग्रस्त देश में शांति लाने के प्रयासों को मजबूत किया जा सके.
इतना ही नहीं अमेरिका का यह भी आरोप लगाया है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद कर दूसरे देशों को महंगे दामों पर बेच रहा है. भारत की खरीदारी से रूस की आर्थिक मदद मिल रही है, जो उसे यूक्रेन के साथ युद्ध में मददगार है. अमेरिका इसे युद्ध को बढ़ावा देने वाला कदम बता रहा है. हालांकि, भारत का रूसी तेल खरीदना पूरी तरह जायज है. भारत ने अपने जवाब में पहले ही कहा है कि रूसी तेल खरीदना पूरी तरह कानूनी है और इस पर कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लागू नहीं हैं. हकीकत तो ये है कि सस्ते रूसी तेल से भारत को काफी मदद मिल रही है. इतना ही नहीं, रूसी तेल खरीदने दुनिया में तेल की कीमतें नियंत्रण में रहीं, जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्था सुरक्षित रही है.
भारत को रूस से कच्चा तेल कम दाम पर मिल रहा है. अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद तो अब रूसी तेल पर पहले से ज्यादा छूट करीब 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिल रही है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट से पता चला था कि रूस ने सितंबर और अक्टूबर में लोड होने वाले जहाजों के लिए कीमतें और भी कम कर दी हैं. इसके मुकाबले अमेरिका से आने वाले तेल करीब 3-5 डॉलर प्रति बैरल ज्यादा महंगा है. यही वजह है कि भारत के लिए रूसी तेल खरीदना फायदे का सौदा है.
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