
इन्दौर। जीतू पटवारी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के पहले से कमलनाथ और उनके बीच खिंची गुटबाजी की लकीर फिर बड़ी हो गई, जब बड़े ही लवाजमे के साथ जीतू पटवारी और उमंग सिंघार नकुलनाथ का नामांकन जमा कराने पहुंचे, लेकिन कमलनाथ ने उन्हें कलेक्टर कार्यालय के अंदर तक नहीं बुलाया। दोनों नेता बाहर ही इंतजार करते रहे। बाद में उन्होंने सभा को जरूर संबोधित किया।
कमलनाथ का मुख्यमंत्री पद जाने के बाद कांग्रेस ने जीतू पटवारी को कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, लेकिन कमलनाथ ने स्पष्ट कह दिया था कि ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की गई है। इसी को लेकर दोनों के बीच कई बार तकरार भी हुई और तभी से दोनों के बीच गुटबाजी की लकीर लंबी होती चली गई। बाद में कमलनाथ को हटाकर पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया तो कमलनाथ नाराज हो गए और शुरुआती कार्यक्रमों में नहीं आए, लेकिन आलाकमान के समझाने पर एक-दो कार्यक्रम में जरूर शामिल हुए। इसके बाद पटवारी ने प्रचारित किया कि कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है। इससे उलट कांग्रेस में गुटबाजी और असंतोष इतना हावी हो गया कि कई नेताओं ने धड़ाधड़ कांग्रेस छोडक़र भाजपा के झंडे तले जाना शुरू कर दिया। यहां पटवारी को बड़ा झटका लगा है।
कल जीतू पटवारी और कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भोपाल से अलग-अलग क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ छिंदवाड़ा पहुंचे थे। वे नकुलनाथ के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे, लेकिन नामांकन भरते समय कमलनाथ और नकुलनाथ के साथ उनकी पत्नियां ही कलेक्टर कार्यालय में अंदर गईं, जबकि पटवारी और सिंघार को बाहर ही रोक लिया गया। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल पड़ी कि कमलनाथ अभी भी पटवारी से नाराज हैं, इसलिए उनके साथ नामांकन दाखिल नहीं करवाया गया। बाद में दोनों नेताओं को सभा में सीधे जाने को कहा गया। वहां वे सभा में शामिल हुए। आज दोनों नेता अनूपपुर, मंडला और बालाघाट में कांग्रेस प्रत्याशी की नामांकन रैली में शामिल होंगे। आज उनके साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी तीनों लोकसभा सीटों पर जा रहे हैं।
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