
नई दिल्ली/कोलकाता । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) राज्य कर्मचारियों को (To State Employees) 25 प्रतिशत डीए (25 percent DA) का भुगतान करे (Should Pay) ।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह अंतरिम आदेश देते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर भुगतान पूरा करने का निर्देश दिया। इस आदेश के तहत, पश्चिम बंगाल सरकार को अपने कर्मचारियों को बकाए डीए का 25 प्रतिशत हिस्सा शीघ्र भुगतान करना होगा। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी। यह कदम राज्य कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदू अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता के पश्चिम बंगाल सरकार को दिए गए इस निर्देश का स्वागत करता हूं, जिसमें उन्होंने सरकार को तुरंत 25 प्रतिशत बकाया डीए (महंगाई भत्ता) कर्मचारियों को देने को कहा है।
उन्होंने आगे लिखा, “यह फैसला पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों की बहुत बड़ी जीत है। ये वही कर्मचारी हैं जो लंबे समय से राज्य सरकार की कठोरता और अन्याय के खिलाफ लड़ते आ रहे थे- पहले ट्रिब्यूनल और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचकर। भाजपा से संबद्ध ‘कर्मचारी परिषद’ (राष्ट्रवादी पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों का संघ) ने इस कानूनी लड़ाई में आगे बढ़कर नेतृत्व किया। इस जीत के लिए संगठन के सभी सदस्यों और पदाधिकारियों को बधाई, जिन्होंने ममता सरकार के दमन के खिलाफ आवाज उठाई।” उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता परमजीत सिंह पाटवाला, प्रख्यात वकील श्रीमती बांसुरी स्वराज और उन सभी वकीलों का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने कर्मचारियों की ओर से अदालत में पैरवी की।
सुवेंदू अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने एक बार कहा था कि “डीए कोई अधिकार नहीं है।” लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डीए वास्तव में कर्मचारियों का अधिकार है। मुझे उम्मीद है कि ममता बनर्जी लाखों राज्य सरकार के कर्मचारियों के अधिकारों को सालों तक नकारने की जिम्मेदारी लेंगी और अपना इस्तीफा देंगी।”
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