img-fluid

एससी-एसटी में क्रीमी लेयर फैसले पर क्या बोले CJI बीआर गवई?, जानें…

August 24, 2025

पणजी. भारत (India) के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) ने शनिवार को गोवा हाई कोर्ट (goa high court) बार एसोसिएशन में दिए अपने भाषण में कहा कि कार्यपालिका को जज की भूमिका निभाने की इजाजत देना संविधान में निहित ‘सेपरेशन ऑफ पावर’ के सिद्धांत को कमजोर करता है.

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि हमने कार्यपालिका को जज बनने से रोकने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए. संविधान कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच सेपरेशन ऑफ पावर को मान्यता देता है. अगर कार्यपालिका को यह अधिकार दे दिया गया, तो यह संवैधानिक ढांचे को गहरी चोट पहुंचाएगा.’


सीजेआई गवई ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ‘संविधान के संरक्षक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें. हमने सुनिश्चित किया कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी का घर न उजाड़ा जाए.’ उन्होंने इस फैसले को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम बताया.

जनता की इच्छाओं या दबाव में नहीं होते फैसले: CJI
क्रीमी लेयर और अनुसूचित जाति में उप-वर्गीकरण पर अपने विवादास्पद फैसले का उल्लेख करते हुए CJI गवई ने कहा, ‘मेरे इस फैसले की मेरी अपनी कम्युनिटी ने कड़ी आलोचना की, लेकिन मैं हमेशा मानता हूं कि फैसला जनता की इच्छाओं या दबाव के आधार पर नहीं, बल्कि कानून और अपनी अंतरात्मा के अनुसार होना चाहिए.’

उन्होंने बताया कि उनके कुछ सहयोगियों ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई थी, लेकिन उनका तर्क स्पष्ट था. CJI बीआर गवई ने कहा, ‘मैंने देखा कि आरक्षित वर्ग से पहली पीढ़ी IAS बनती है, फिर दूसरी और तीसरी पीढ़ी भी उसी कोटे का लाभ लेती है. क्या मुंबई या दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में पढ़ने वाला, हर सुविधा से लैस बच्चा उस ग्रामीण मजदूर या खेतिहर के बच्चे के बराबर हो सकता है, जो जिला परिषद या ग्राम पंचायत के स्कूल में पढ़ता है?’

उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कहा, ‘समानता का मतलब सभी के साथ एकसमान व्यवहार नहीं है. संविधान असमानता को समान बनाने के लिए असमान व्यवहार की वकालत करता है. एक मुख्य सचिव का बच्चा, जो सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में पढ़ता है, और एक मजदूर का बच्चा, जो सीमित संसाधनों में पढ़ाई करता है, इनकी तुलना करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.’

न्यायाधीश भी इंसान हैं और गलतियां कर सकते हैं: CJI
उन्होंने बताया कि उनके इस विचार को सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों का समर्थन मिला. क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना को लेकर CJI बीआर गवई ने खुलकर कहा, ‘आलोचना हमेशा स्वागतयोग्य है. जज भी इंसान हैं और गलतियां कर सकते हैं.’ उन्होंने खुलासा किया कि हाई कोर्ट जज के रूप में उन्होंने अपने दो फैसलों को स्वयं ‘पेर इनक्यूरियम’ (बिना उचित विचार के दिए गए फैसले) माना था. सुप्रीम कोर्ट में भी एक बार ऐसा हुआ.

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हाई कोर्ट जज किसी भी तरह सुप्रीम कोर्ट से कम नहीं हैं. प्रशासनिक रूप से देश के हाई कोर्ट स्वतंत्र हैं.’ CJI ने विदर्भ के झुडपी जंगल मामले का भी जिक्र किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने 86,000 हेक्टेयर भूमि को जंगल माना था, लेकिन वहां दशकों से रह रहे लोगों और किसानों को बेदखल न करने का फैसला सुनाया था. भारत मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि हमने उन लोगों को राहत दी, जो अपनी आजीविका और आश्रय खोने के डर में जी रहे थे. यह सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में एक कदम है.

Share:

  • TMC के बाद अब सपा ने दिया झटका! PM-CM हटाने वाले बिल पर JPC से बाहर, विपक्ष की एकजुटता पर संकट

    Sun Aug 24 , 2025
    नई दिल्‍ली । मुख्यमंत्रियों(Chief Ministers), मंत्रियों और प्रधानमंत्री (Prime Minister)को 30 दिन की गिरफ्तारी(Arrest) की स्थिति में पद से बर्खास्त करने वाले विधेयकों और संवैधानिक संशोधन(constitutional amendment) पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) को शनिवार को विपक्षी दलों ने बड़ा झटका दिया। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस जेपीसी का […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved