बीजिंग ।चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Chinese Foreign Minister Wang Yi) ने अमेरिका के साथ संबंधों को ‘दो विशाल जहाजों’ की संज्ञा दी, जो बिना दिशा भटके या गति खोए आगे बढ़ने चाहिए। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ फोन पर बातचीत में कहा कि दोनों देशों को अपने नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का दृढ़ता से पालन करना होगा और समझौतों को पूरी तरह लागू करना होगा। वांग यी ने अमेरिका को आगाह किया कि वह चीन के आंतरिक मामलों, विशेष रूप से ताइवान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर हस्तक्षेप करने वाली टिप्पणियों और कार्यों से बचे, क्योंकि ये चीन के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने बल दिया कि चीन और अमेरिका को वैश्विक शांति व समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए, वैश्विक चुनौतियों का सामना करना चाहिए और प्रमुख देशों के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। दोनों पक्षों ने इस बातचीत को समयबद्ध, आवश्यक और उपयोगी माना, जिसमें मतभेदों को संयमित करने, सहयोग बढ़ाने और स्थिर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति बनी।
अमेरिका की हालिया नकारात्मक टिप्पणियां और कदम चीन के वैध हितों को नुकसान पहुंचाते हैं, उसके आंतरिक मामलों में दखल देते हैं और दोनों देशों के रिश्तों के विकास में बाधा डालते हैं। चीन इसका कड़ा विरोध करता है। वांग यी ने अमेरिका से ताइवान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने शब्दों और कार्यों में संयम बरतने की अपील की। बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि द्वितीय विश्व युद्ध में चीन और अमेरिका ने मिलकर सैन्यवाद और फासीवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस नए युग में, दोनों देशों को विश्व शांति और समृद्धि के लिए एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करना चाहिए और प्रमुख देशों के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने इस बातचीत को समयोचित, आवश्यक और उपयोगी माना। इसमें नेताओं की कूटनीति की रणनीतिक भूमिका को मजबूत करने, मतभेदों को समझदारी से सुलझाने, सहयोग की संभावनाएं तलाशने और द्विपक्षीय रिश्तों को स्थिरता प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया गया।
वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर खुले और रचनात्मक संवाद की महत्ता पर जोर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि कुआलालंपुर में हुई चर्चाओं के बाद अन्य वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात हुई। इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर अमेरिका के खिलाफ ‘साजिश’ का आरोप लगाया था। यह बयान 3 सितंबर को चीन में आयोजित विशाल सैन्य परेड के बाद आया, जिसमें उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल थे। यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई थी। ट्रंप ने आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद कहा कि उनके चीनी नेतृत्व के साथ व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे हैं।
गौरतलब है कि यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव बढ़ा हुआ है। हाल ही में सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सलाहकार अक्टूबर 2025 में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, हालांकि अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनी है।
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