
नई दिल्ली । कर्नाटक(Karnataka) के प्रसिद्ध मंदिर नगर धर्मस्थल(famous temple town shrine) में कथित रूप से दो दशकों तक चले हत्या, बलात्कार(rape) और अवैध(Invalid ) रूप से शव दफनाने के मामलों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को एक नई जगह से मानव कंकाल के अवशेष मिले हैं। पुलिस सूत्रों ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। एसआईटी सूत्रों के अनुसार, इन मानव अवशेषों में खोपड़ी के टुकड़े और हड्डियां शामिल हैं। यह उस 11वीं जगह से बरामद किए गए हैं, जिसका खुलासा मामले के मुखबिर ने किया था।
इस मुखबिर ने आरोप लगाया है कि उसे धमकी देकर कई शवों को धर्मस्थल और उसके आसपास के जंगलों में दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। ध्यान देने वाली बात ये है कि धर्मस्थल पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित है और श्री मंजुनाथेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है और कर्नाटक के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
इस सनसनीखेज मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन तब हुआ जब एक पूर्व सफाईकर्मी (मुखबिर) ने इन गंभीर आरोपों का खुलासा किया। उसने बताया कि उसने 20 वर्षों में कई शवों को जंगलों में दफनाया है। मुखबिर की पहचान गुप्त रखी गई है। इससे पहले 31 जुलाई को भी एसआईटी को धर्मस्थल के पास नेत्रावती नदी के किनारे एक अन्य जगह से खोपड़ी और हड्डियों के टुकड़े मिले थे। एसआईटी 29 जुलाई से विभिन्न जगहों पर खुदाई कर रही है। अब तक मिले सभी कंकाल अवशेषों को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेजा गया है, ताकि उम्र, लिंग और मौत के कारण का पता लगाया जा सके।
एक के बाद एक मिल रहे कंकाल के अवशेष
एसआईटी ने पिछले हफ्ते शुरू की गई खुदाई के दौरान अब तक 13 में से 10 संदिग्ध दफन स्थलों की जांच पूरी कर ली है। सोमवार को, पूर्व सफाई कर्मचारी ने एसआईटी को बंगलगुड्डे में एक पेड़ के नीचे कंकाल के अवशेष दिखाए, जो 11वें स्थान से लगभग 100 मीटर दूर था। इन अवशेषों में एक खोपड़ी और कुछ हड्डियां शामिल थीं, साथ ही एक साड़ी का टुकड़ा भी मिला, जिसमें गांठ बंधी हुई थी। प्रारंभिक जांच में ये अवशेष पुरुष के हो सकते हैं, लेकिन अंतिम पुष्टि के लिए इन्हें फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा गया है। इससे पहले, 31 जुलाई को, एसआईटी ने छठे स्थान पर नेथ्रावती नदी के किनारे 15 हड्डियों और खोपड़ी के कुछ टुकड़ों सहित आंशिक कंकाल अवशेष पाए थे। प्रारंभिक फोरेंसिक विश्लेषण में ये अवशेष पुरुष के बताए गए, हालांकि कोई पूरी खोपड़ी नहीं मिली। इन खोजों ने मामले में पहली ठोस साक्ष्य प्रदान की है, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है।
कैसे खुला पूरा मामला?
पूर्व सफाई कर्मचारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उसने दावा किया कि उसे प्रभावशाली लोगों के दबाव में कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। उसने कहा कि कई शवों पर यौन हिंसा और हत्या के निशान थे, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और नाबालिग थीं। उसने 13 संदिग्ध दफन स्थलों की पहचान की, जिनमें से अधिकांश नेथ्रावती नदी के किनारे हैं।
शिकायतकर्ता ने 3 जुलाई को अपनी शिकायत दर्ज की थी, और 4 जुलाई को धर्मस्थल पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 211 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसने अपनी सुरक्षा के लिए गवाह संरक्षण अधिनियम, 2018 के तहत संरक्षण मांगा, जो 10 जुलाई को मंजूर कर लिया गया। इसके बाद, 19 जुलाई को डीजीपी प्रोनब मोहंती के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया।
एक और सनसनीखेज दावा
इस बीच सोमवार को दक्षिण कन्नड़ जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता जयंत टी ने एसआईटी को एक अलग शिकायत दी है। उन्होंने दावा किया है कि वर्ष 2002-2003 के बीच उन्होंने पुलिस को एक नाबालिग लड़की का शव जंगल में दफनाते देखा था, वो भी बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के। जयंत के अनुसार, वह लड़की का शव स्टेट हाईवे 37 के पास जंगल में मिला था। उन्होंने कहा, “पुलिस को सूचना दी गई थी लेकिन उन्होंने बिना कोई मामला दर्ज किए, बिना स्थल निरीक्षण और पोस्टमॉर्टम के शव को एक सप्ताह बाद जंगल में दफना दिया। उस वक्त 3-4 गवाह मौजूद थे और मुझे उस ऑटो रिक्शा चालक का भी पता है जिसने सबसे पहले पुलिस को सूचना दी थी।”
पुलिस रिकॉर्ड में कई दस्तावेज गायब
एसआईटी ने 1995 से 2014 तक के ‘अप्राकृतिक मृत्यु रिपोर्ट’ को इकट्ठा किया है। हालांकि बेल्थांगडी पुलिस रिकॉर्ड में कई दस्तावेज गायब या छेड़छाड़ किए गए हैं, इसके बावजूद जांच आगे बढ़ रही है। एसआईटी प्रमुख प्रोनब मोहंती द्वारा शुरुआती दिनों में साक्ष्यों को संरक्षित रखने के निर्देश इस मामले की कड़ी में अहम साबित हुए हैं। जांच बेहद गोपनीय तरीके से जारी है और हर दिन नए तथ्यों के आधार पर कार्यशैली बदली जा रही है। इसके अलावा बेल्थांगडी पुलिस स्टेशन में एक हेल्पलाइन और सूचना डेस्क भी स्थापित की गई है, ताकि आम लोग इस मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा कर सकें।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved