
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ कूटनीति अपनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) चीन और जापान की यात्रा पर जा रहे हैं, जो ट्रंप टैरिफ के बीच प्रधानमंत्री मोदी की दोनों बड़े देशों की यात्रा तीनों देशों के लिए काफी अहम साबित हो सकती है। वहीं चीन के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। वे चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन में होंगे। साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों की झड़प के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार चीन जाएंगे। बतौर प्रधानमंत्री वे चीन के छठे दौरे पर जा रहे हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से वे साल 2015, 2016, 2017, 2018 में 2 बार चीन के दौरे पर जा चुके हैं। इसके अलावा भारत-चीन के दोनों राष्ट्राध्यक्षों की आखिरी मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में BRICS समिट के दौरान हुई थी।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा और SCO समिट में हिस्सा लेने का मकसद क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करना है। भारत-चीन के संबंधों में स्थिरता लाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता पर फोकस करना है। भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने, सीमा विवाद का निपटारा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यात्रा गलवान की झड़प के बाद तनावपूर्ण रहे भारत-चीन संबंधों में सुधार लाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों की झड़प के बाद संबंधों में आए तनाव को दूर करने के लिए चीन जा रहे हैं। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की 25वीं बैठक में हिस्सा लेकर वे क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और व्यापार जैसे मुद्दों पर कोई समझौता कर सकते हैं। द्विपक्षीय बैठक में भारत-चीन सीमा तनाव को कम करने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर बात हो सकती है।
ट्रेड वार और टैरिफ विवाद के बीच भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर आवाज बुलंद करने का सुनहरा अवसर इस यात्रा पर मिलेगा। क्योंकि भारत पश्चिमी देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है तो चीन का दौरा रूस के साथ संबंधों को संतुलित करने का भी मौका है। लद्दाख में LAC पर तनाव कम करने के प्रयासों को और मजबूती मिल सकती है।
भारत और चीन व्यापार घाटे और आर्थिक सहयोग के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन यात्रा के दौरान बीजिंग में चीनी समकक्ष वांग यी से कई आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की थी। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर सकती है। भारत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति पर काम कर रहा है। यह यात्रा भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर देगी।
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