
नई दिल्ली। बात 1996 की है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर यानी देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के 72वें जन्मदिन से पहले कुछ पत्रकार उनके साथ एक शाम उनके सरकारी आवास पर जमा हुए थे और बीजेपी के दिग्गज नेता से पहली बार इंटरनेट पर चैट कर रहे थे। कुछ महीने पहले ही अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार एक वोट से गिर गई थी।
उस शाम पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी रेडिफडॉट कॉम के साथ चैट करने वाले थे। उनके साथ अर्चना मसीह समेत कुछ और पत्रकार थे। मुंबई से नई दिल्ली ये लोग साथ पहुंचे थे और सीधे वाजपेयी जी के आवास पहुंचे थे, जहां एसपीजी के जवानों ने सुरक्षा जांच के बाद उन्हें अंदर जाने दिया था।
शाम की वेलकम टी के बाद वाजपेयी जी के निजी सचिव पूर्व नौकरशाह शक्ति सिन्हा और वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता पत्रकारों के साथ वाजपेयी जी के पहले इंटरनेट चैट अनुभव के तौर-तरीकों के बारे में बात कर रहे थे। चैट के दौरान अटल जी के बाएं शक्ति सिन्हा और दाहिने तरफ कंचन गुप्ता के बैठने की व्यवस्था की गई थी।
जैसे ही वाजपेयी जी ने उस कमरे में प्रवेश किया, सभी लोग उठ खड़े हुए। थोड़ी ही देर के बाद औपचारिक बातें पूरी कर चैट शुरू हुआ। रेडिफ के पत्रकारों के सवाल सुनने के बाद वाजपेयी जी आंखें मूंद ले रहे थे, फिर उसका जवाब दे रहे थे। उनके जवाब को कंचन गुप्ता दर्ज कर रहे थे।
इसी बीच दो पत्रकार बार-बार उस कमरे से अंदर-बाहर आ-जा रहे थे। यह देखकर अटल जी उन पर भड़क गए और पूछ डाला, “क्या आप लोग सिगरेट पीने बार-बार बाहर जा रहे हैं?” जिसे दोनों पत्रकारों ने डरे हुए स्कूली बच्चों की तरह बड़ी विनम्रता से नकार दिया। दरअसल, ये दोनों पत्रकार मुंबई स्थित अपने हेडक्वार्टर से कॉर्डिनेट कर रहे थे कि क्या चैट सही से चल रहा है या नहीं?
1957 में अपने संसदीय करियर की शुरुआत करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी को बहुत पहले ही देश ने एक विपक्षी नेता के तौर पर मान लिया था। उनकी भाषण शैली और संसदीय मर्यादाओं के लोग कायल थे। यहां तककि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी उनकी प्रशंसा की थी और कहा था कि यह युवा नेता एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा।
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