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जब इतिहास में पहली बार रेलवे की रफ्तार थमी, कोरोना के चलते रोकनी पड़ी थीं ट्रेनें

March 24, 2022

नई दिल्ली: दो साल पहले मार्च का महीना हर भारतवासी को आजीवन याद रहेगा क्योंकि इस महीने की 24 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM narendra modi) ने कोरोना (Corona virus) के कहर के कारण देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) लगाने की घोषणा कर डाली. दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही सड़कों पर सन्नाटा छा गया, ट्रेन के पहिए थम गए, हवाई सेवा पर रोक लग गई और फैक्ट्री व कंपनियों के दरवाजे बंद हो गए. लॉकडाउन के आम लोगों के जनजीवन पर खासा असर पड़ा.

देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 500 से पार होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, 2020 को एहतियाती कदम उठाते हुए देशभर में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. इस ऐलान के साथ ही 16 अप्रैल 1853 से शुरू हुई भारतीय रेल जिसे देश की लाइफ लाइन कहा जाता है, के पहिए पहली बार अचानक थम गए. यात्रियों के कदम भी घर के अंदर ही ठहर गए, जो जहां था वहीं पर फंसा रह गया.

लाखों लोग घर से दूर फंस गए
कोरोना के संभावित कहर को देखते हुए हर आम और खास लोगों में खौफ का माहौल था. बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी थे जो अपने लोगों और अपने घरों से कोसों दूर थे, उनमें से कई बाहर रहकर नौकरी कर रहे थे या फिर पढ़ाई या फिर घूमने आए थे. या किसी और कारण से घर से दूर थे. लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही लाखों की संख्या में लोग फंस गए और किसी भी तरह अपने घर को जाने की जद्दोजहद में लग गए. भारतीय ट्रेन में हर दिन करीब ढाई करोड़ लोग यात्रा करते हैं. मुंबई जैसी आर्थिक राजधानी में तो ट्रेन पर पूरी लाइफ लाइन टिकी रहती है. तकरीबन 12000 ट्रेन हर रोज चलती हैं.


लॉकडाउन के ऐलान ने पूरे देश के पहिए को ही थाम दिया. घर से दूर फंसे लाखों लोगों को निकालने के लिए भारतीय रेलवे ने स्पेशल श्रमिक ट्रेन चलाई और लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने में हरसंभव मदद की. ये स्पेशल ट्रेन हर स्टेशन पर रूकती नहीं थी. लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही ट्रेन रोकने का फैसला बेहद कठिन था. तब रेलवे प्रशासन का कहना था कि पूरी तरह ट्रेन यात्रा को बंद करने का फैसला आसान नहीं था. लेकिन मुश्किल की घड़ी में ये फैसला लेना जरुरी भी था.

2020 में करीब 9 हजार लोगों की मौत
पिछले साल जून में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में रेलवे पटरियों पर 8,700 से अधिक लोगों को मौत हो गई. अधिकारियों का कहना था कि पीड़ितों में से कई प्रवासी श्रमिक थे. हालांकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण यात्री ट्रेन सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. रेलवे बोर्ड ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के एक सवाल के जवाब में जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच इस तरह की मौतों के आंकड़े साझा किए. तब रेलवे बोर्ड ने अपने जवाब में बताया कि राज्य पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 के बीच रेलवे ट्रैक पर 805 लोगों को चोटें आईं और 8,733 लोगों की मौत हुई.

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