उज्जैन। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना, दान करना और पूजा पाठ करना शुभ माना जाता है। बैसाख का महीना चल रहा है। इसी महीने के पूर्णिया तिथि को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को बुद्ध जयंती (Buddha Purnima 2025) या बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है।
वैशाख माह की पूर्णिमा (Buddha Purnima 2025) के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, दान, पूजा और व्रत का विधान होता है. इस साल 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी.
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिससे कि इस दिन का धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाएगा. बुद्ध पूर्णिमा पर वरीयान और रवि योग रहेगा. वरीयान योग रातभर रहेगा, तो वहीं रवि योग सुबह 5:32 से अगले दिन सुबह 6:12 तक रहेगा. इसके साथ ही बुद्ध पूर्णिमा पर भद्रावास योग भी रहेगा, जो सुबह 09:14 तक रहेगा. इस समय भद्रा का वास पाताल पर रहेगा.
भगवान बुद्ध कौन थे?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने गौतम बुद्ध के रूप में 9वां अवतार लिया था. गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के लुंबिनी में हुआ था. उनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के मुखिया थे. उनकी माता का नाम मायादेवी था. भगवान बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था. गौतम बुद्ध का 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ था. इनके पुत्र का नाम राहुल था.
निरंजना नदी के तट पर स्थित बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई. इसके बाद उन्होंने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया. इस धर्म के लोग अधिकतर चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका, भारत आदि देशों में रहते हैं. बौद्ध धर्म की उत्पति ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले हुई थी. बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के लोग बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं और बुद्ध के उपदेश सुनते हैं. इसके अलावा हिंदू धर्म के लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं.
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