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रूद्रसागर का कब होगा उद्धार, जलकुंभी से भरा हुआ है यह तालाब

August 05, 2021

  • शिप्रा से यहां तक पाईप लाईन डालकर पानी लाया और भेजा जा सकेगा – बारिश के कारण अभी काम रूका

उज्जैन। महाकाल रूद्रसागर विकास योजना में रूद्र सागर के दोनों भाग का कायाकल्प करने का प्रोजेक्ट है। इस पर काम भी शुरू हो गया था। बारिश की वजह से अभी काम नहीं हो पा रहा है और पूरे रूद्र सागर में जलकुंभी नजर आ रही है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह दोनों सागर 11 साल लबालब नजर आएंगे।
पौराणिक महत्व के महाकाल मंदिर के पीछे स्थित रूद्रसागर के बड़े और छोटे दोनों भाग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विकसित किए जाएंगे। इसमें दोनों ओर काम करने वाली ऐसी पाईप लाईन डाली जाएगी जिसके द्वारा जरूरत पडऩे पर रूद्रसागर में शिप्रा नदी का पानी छोड़ा जा सके और अगर सागर को खाली करना हो तो इसका पानी शिप्रा में पहुंचाया जा सके। आगामी सिंहस्थ को देखते हुए यह कार्य किये जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार रूद्रसागर के विकास की भी दो चरणों में प्लानिंग की गई है। पहले चरण में महाकाल मंदिर के पीछे वाले रूद्रसागर के बड़े भाग का कायाकल्प शुरु कर दिया गया है। इसके बाद दूसरे चरण में हरसिद्धि मंदिर के सामने वाले रूद्रसागर के छोटे भाग में काम होंगे। स्मार्ट सिटी कंपनी के कार्यपालन यंत्री धर्मेन्द्र वर्मा के मुताबिक यह प्रोजेक्ट आगामी सिंहस्थ 2028 को देखते हुए महत्वपूर्ण है तथा इसे इसी तरह तैयार किया गया है। सिंहस्थ के दौरान रूद्रसागर में शंकराचार्यों के पांडाल लगते हैं तथा वे सिंहस्थ में करीब डेढ़ से दो महीने यहाँ पड़ाव लगाते हैं। स्मार्ट सिटी योजना में रूद्रसागर का सालभर स्वच्छ और साफ-सुथरे पानी वाली झील के समान विकास किया जाना है। ऐसे में सिंहस्थ के वक्त इसे खाली करना पड़े तो भी समस्या न आए। यही वजह है कि रूद्रसागर के विकास के प्रोजेक्ट में यह व्यवस्था भी रखी गई है कि जब कभी रूद्रसागर में पानी की आवश्यकता हो तो पाईप लाईन के जरिये शिप्रा नदी से इसे भरा जा सके और जब खाली करना हो तो रूद्रसागर का पानी शिप्रा में छोड़ा जा सके। योजना में आगामी सिंहस्थ को देखते हुए इसकी विस्तृत प्लानिंग की गई है और सिंहस्थ वाले वर्ष को छोड़ शेष 11 वर्षों तक रूद्रसागर में स्वच्छ पानी भरा रहे, इसके लिए समीप ही फिल्टर प्लांट भी बनाया जाएगा।

बारिश में रूक गया काम
अधिकारियों के अनुसार रूद्रसागर दो भागों में बंटा हुआ है। महाकाल मंदिर के पीछे स्थित रूद्रसागर का बड़ा भाग है। इसका क्षेत्रफल 38 एकड़ है, जबकि महाकाल और हरसिद्धि मार्ग को जोडऩे वाली सड़क के दूसरी ओर हरसिद्धि मंदिर के सामने वाले छोटे रूद्रसागर का क्षेत्रफल 4.5 एकड़ है। कुल मिलाकर रूद्रसागर विकास की योजना इन दोनों भागों के 42.5 एकड़ क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। पहले चरण के कार्य में बरसात के पहले खुदाई भी शुरू कर दी गई थी। बारिश शुरू होने के बाद खोदे गए स्थानों पर पानी भर गया है और पूरे सागर में जलकुंभी भी उगकर फैल गई है। अब बरसात के बाद ही यह काम शुरू हो पाएंगे। बारिश के बाद फिर से काम शुरु हो जाएगा।

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