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जब तुम्हारे बाप-दादा…’, पाकिस्तानी कहे जाने पर आगबबूला हुए जावेद अख्तर

August 16, 2025

मुंबई। अपने बेबाक बोल के लिए अक्सर सुर्खियों में छाने वाले दिग्गज स्क्रीनराइटर और लिरिसिस्ट जावेद अख्तर (Javed Akhtar) एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. अपने विचारों और बयानों को लेकर वह कई बार ट्रोल्स के निशाने पर आ जाते हैं, लेकिन सभी को चुन-चुनकर जवाब देने से भी परहेज नहीं करते. हाल ही में 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने एक पोस्ट शेयर किया और हर भारतीय की तरह देश के प्रति अपना प्यार जाहिर किया. एक यूजर ने कमेंट करते हुए उन्हें ‘पाकिस्तानी’ (Pakistani) बताया तो गुस्से से लाल हुए जावेद अख्तर ने ऐसी खरी-खरी सुनाई कि ट्रोल का मुंह बंद कर दिया.

जावेद अख्तर अपना राष्ट्रप्रेम को लेकर कई बार जाहिर कर चुके हैं. अक्सर अपनी बातों को खुलकर कहने की वजह से वो ट्रोल भी होते हैं. हाल ही में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पोस्ट शेयर किया, तब फिर उन्हें ट्रोल किया गया.



जावेद अख्तर का पोस्ट
जावेद अख्तर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- ‘मेरे सभी भारतीय बहनों और भाइयों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह आजादी हमें थाली में परोसी नहीं गई. आज हमें उन लोगों को याद करना चाहिए और उन्हें सलाम करना चाहिए, जो हमें आजादी दिलाने के लिए जेल गए और जो फांसी पर चढ़ गए. आइए हम यह सुनिश्चित करें कि हम इस अनमोल तोहफे को कभी न गंवाएं.’

जावेद अख्तर ने दिया जवाब
जावेद अख्तर ने लिखा- ‘बेटा जब तुम्हारे बाप दादा अंग्रेज के जूते चाट रहे थे, मेरे बुजुर्ग देश की आजादी के लिए काला पानी में मर रहे थे.अपनी औकात में रहो.’ दरअसल, काला पानी अंडमान द्वीप समूह में स्थित सेलुलर जेल को संदर्भित करता है, जहां ब्रिटिश शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को कठोर कारावास का सामना करना पड़ता था.

स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं जावेद अख्तर
आपको बता दें, जावेद अख्तर के परदादा, फजल-ए-हक खैराबादी (1797-1861) एक जाने-माने भारतीय इस्लामी विद्वान, कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे. जावेद अख्तर के परदादा भी ब्रिटिश शासन के विरोध में खड़े हुए थे और 1857 के दौरान भारतीय विद्रोह का समर्थन करते हुए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक फतवा जारी किया, जिसके कारण उन्हें अंडमान द्वीप समूह में काला पानी की सजा के लिए भेज दिया गया, जहां उनका निधन हो गया. जावेद अख्तर के दादा मुज्तर खैराबादी और पिता जां निसार अख्तर भी प्रसिद्ध कवि थे और स्वतंत्रता, प्रतिरोध और सामाजिक न्याय के लिए अपनी रचनाओं के लिए मशहूर थे.

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