
नई दिल्ली । क्रिकेट (Cricket)के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर(Sachin Tendulkar) सोसल मीडिया(Social media) पर सोमवार को अपने फैंस के सवालों के जवाब देते नजर आए। रेडिट पर सचिन तेंदुलकर ने एक दर्जन से ज्यादा सवालों के जवाब दिए। इसी दौरान सचिन ने खुलासा किया कि वह क्रिकेट के एक नियम में बदलाव चाहते हैं, जो lbw से जुड़ा है। तेंदुलकर ने कहा कि वह संभवतः अंपायर्स कॉल को हटाना पसंद करेंगे। तेंदुलकर का मानना है कि खिलाड़ी मैदानी अंपायर के मूल फैसले से नाखुश होने के कारण डीआरएस के लिए ऊपर इसलिए जाते हैं, क्योंकि उनको लगता है कि अंपायर का फैसला सही नहीं है।
सचिन तेंदुलकर ने एक फैन के सवाल का जवाब दिया, जो उनसे पूछा गया था कि क्रिकेट के किस नियम में आप बदलाव चाहते हैं? इस पर सचिन बोले, “मैं अंपायर्स कॉल पर डीआरएस नियम बदल दूंगा। खिलाड़ियों ने ऊपर जाने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि वे मैदानी अंपायर के फैसले से नाखुश थे। इसलिए उस फैसले पर वापस जाने का कोई विकल्प नहीं होना चाहिए। जिस तरह खिलाड़ियों के खराब दौर आते हैं, उसी तरह अंपायरों के भी खराब दौर आते हैं। टेक्नोलॉजी गलत होने पर भी लगातार गलत ही रहेगी।”
100 शतक इंटरनेशनल क्रिकेट में जड़ने वाले सचिन तेंदुलकर ने पहली बार अंपायर्स कॉल को लेकर बात नहीं की है। उन्होंने 2020 में भी अंपायर्स कॉल को खत्म करने की वकालत की थी। तब उन्होंने कहा था कि अगर डीआरएस में बॉल-ट्रैकिंग सेक्शन के दौरान गेंद स्टंप्स से थोड़ी सी भी टकरा रही है, तो उसे आउट दे दिया जाना चाहिए। अभी तक होता ये आ रहा है कि अंपायर ने अगर नॉट आउट दिया है और गेंद का 50 फीसदी हिस्सा भी स्टंप्स पर लग रहा है तो उसे नॉट आउट दिया जाएगा। अगर अंपायर ने आउट दिया है और गेंद एक फीसदी भी स्टंप्स पर लग रही है तो भी उसे आउट ही माना जाएगा। डीआरएस में अंपायर्स कॉल बेनेफिट ऑफ डाउट वाले सिद्धांत पर चल रही है।
वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा के साथ एक वीडियो चैट में सचिन ने कहा था, “एक बात जिससे मैं सहमत नहीं हूं, वह है आईसीसी का डीआरएस, जिसका इस्तेमाल वे काफी समय से कर रहे हैं। एलबीडब्ल्यू के मामले में, मैदान पर लिए गए फैसले को पलटने के लिए गेंद का 50% से ज्यादा हिस्सा स्टंप्स पर लगना जरूरी है। वे (बल्लेबाज या गेंदबाज) सिर्फ इसलिए ऊपर जाते हैं, क्योंकि वे मैदान पर लिए गए फैसले से नाखुश होते है, इसलिए जब फैसला तीसरे अंपायर के पास जाए, तो टेक्नोलॉजी को अपना काम करने दें; बिल्कुल टेनिस की तरह – या तो इन या आउट, बीच में कुछ नहीं होता।”
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