
वॉशिंगटन। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) जॉन बोल्टन (John Bolton) ने गुरुवार (स्थानीय समय) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की कड़ी आलोचना की। उन्होंने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ (Tariff) को लेकर ट्रंप पर निशाना साधा और उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को रूस और चीन के करीब लाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने पिछले अमेरिकी प्रशासन की दशकों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर बोल्टन ने एक पोस्ट में कहा, ‘व्हाइट हाउस ने पीएम मोदी को रूस और चीन के करीब लाकर अमेरिका-भारत संबंधों को दशकों पीछे धकेल दिया है। बीजिंग ने खुद को अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के रूप में पेश किया है।’ उन्होंने ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इसने भारत को तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) के साथ शीत युद्ध के संबंधों से दूर करने और चीन से बढ़ते खतरे से निपटने के दशकों के पश्चिमी प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है।
इससे पहले सोमवार को एक्स पर कई पोस्टों में बोल्टन ने ट्रंप पर अपने आर्थिक दृष्टिकोण से रणनीतिक लाभ को खतरे में डालने का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि इस नीति ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पूर्व में भू-राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप देने का अवसर दिया है।
बोल्टन ने अपने एक पोस्ट में कहा, ‘पश्चिम ने दशकों से भारत को सोवियत संघ या रूस के साथ शीत युद्ध के लगाव से दूर करने की कोशिश की है और चीन की ओर से उत्पन्न खतरे के प्रति भारत को आगाह किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से दशकों के प्रयासों को ध्वस्त कर दिया है।’ एक अन्य पोस्ट में लिखा था, ‘डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कूटनीतिक कदमों को व्यापक रणनीतिक संदर्भ में देखने की अनिच्छा ने शी जिनपिंग को पूर्व को फिर से स्थापित करने का अवसर दिया है।’
जॉन बोल्टन एक पूर्व अमेरिकी सरकारी अधिकारी हैं, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के पहले कार्यकाल में उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (2018-19) के रूप में कार्य किया था। बाद में त्कालीन प्रशासन की विदेश नीति पर ट्रंप के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका की ओर से भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद (जिसमें नई दिल्ली की ओर से रूसी कच्चे तेल की खरीद के कारण 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ भी शामिल था) बढ़ते आर्थिक तनाव के कारण नई दिल्ली वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है।
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