नई दिल्ली। सीरिया के दक्षिण हिस्से में ड्रूज समुदाय (Druze community) के लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। स्वीदा की सड़कों पर उतरे ड्रूजों में से कुछ ने इजराइली झंडे (Israeli flag) भी लहराए। यह प्रदर्शन ड्रूज मिलिशिया (Druze Militia) और बेदुइन सुन्नी जनजातियों के बीच हुई हिंसक झडपों के बाद हुई। यही कारण है कि शनिवार को दक्षिणी सीरियाई शहर स्वीदा में सैकड़ों लोगों ने ड्रूंज के लिए, आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। बता दें कि यह हमला 13 जुलाई को ड्रूज मिलिशिया और सशस्त्र बेदुई सुन्नी जनजातियों के बीच हुई हिंसक संघर्ष के बाद हुआ।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, जुलाई में सीरियाई सरकारी बलों में झड़प में हस्तक्षेप किया था। इस दौरान दमिश्का ने कहा था कि इसका उद्देश्य स्वीदा इलाके में व्यवस्था बहाल करना था। वहीं, ड्रूज समूहों और ब्रिटेन स्थित युद्ध निगरानी संस्था ने दमिश्का पर बेदुइन सुन्नी का पक्ष लेने और ड्रूज समुदाय को खिलाफ अत्याचार करने का आरोप लगाया था।
सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, हिंसक झड़पों में लगभग 1600 लोग मारे गए। मृतकों में सबसे अधिक ड्रूज़ समुदाय को लेग थे। गौरतलब है कि सीरियाई सेना ने झड़पें शुरू होने के कुछ दिनों बाद स्वीदा में युद्धविराम की घोषणा की। राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के नेतृत्व में सीरिया की नई अंतरिम सरकार ने स्वीदा क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए एक समिति गठित की है, जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
कौन हैं ड्रूज़?
बताया जाता है कि 10वीं शताब्दी में ड्रूज़ शिया इस्लाम के इस्माइली संप्रदाय से अलग हो गया था, लेकिन इस धार्मिक समूह के सदस्य स्वयं को मुस्लिम नहीं मानते। सबसे बड़ी ड्रूज आबादी सीरिया में पाई जाती है, इसके अलावा इजराइल और लेबनान में भी काफी संख्या में ड्रूज़ समुदाय हैं। इतना ही नहीं, इजराइल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स की अरब आबादी में भी ड्रूज बहुसंख्यक हैं।
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