
नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र (Monsoon session of Parliament) अपने अंतिम पड़ाव में है. बुधवार को सरकार ने संसद में महत्वपूर्ण बिल पेश किया, जिसके प्रावधानों के अंतर्गत संवैधानिक पद पर बैठा कोई व्यक्ति एक महीने तक जेल में रहता है तो उसे इस्तीफा देना पड़ेगा. विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और सरकार पर भविष्य में इसका दुरुपयोग करने की आशंका जता रहा है. AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा है.
ओवैसी ने कहा,’यह विधेयक असंवैधानिक है. प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा? कुल मिलाकर, भाजपा सरकार इन बिलों की मदद से हमारे देश को पुलिस राज्य बनाना चाहती है. हम इसका विरोध करेंगे. भाजपा भूल रही है कि सत्ता शाश्वत नहीं है.’ ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा,’आज के तीन संशोधन विधेयकों से अगर कोई मंत्री 30 दिन तक हिरासत या जेल में रहेगा, तो वह अपने पद से अपने-आप हट जाएगा. सरकार भारत को पुलिस राज्य बना रही है. यह लोकतंत्र और सत्ता के बंटवारे पर सीधा हमला है.’
ओवैसी ने संसद में बोलते हुए कहा,’मैं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 और संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 को पेश किए जाने का विरोध करता हूं. यह शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और सरकार चुनने के अधिकार को कमजोर करता है. यह कार्यकारी एजेंसियों को तुच्छ आरोपों और संदेह की बुनियाद पर जज और जल्लाद बनने की खुली छूट देता है. यह सरकार पुलिस राज्य बनाने पर तुली हुई है. यह निर्वाचित सरकार के लिए मौत की कील होगी. इस देश को पुलिस राज्य में बदलने के लिए भारत के संविधान में संशोधन किया जा रहा है.’
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,’मैं इसे पूरी तरह से कठोर मानती हूं, क्योंकि यह हर चीज के खिलाफ है. इसे भ्रष्टाचार विरोधी उपाय कहना लोगों की आंखों पर पर्दा डालने जैसा है. कल को आप किसी भी मुख्यमंत्री पर कोई भी मामला लगा सकते हैं, उसे बिना दोषसिद्धि के 30 दिनों के लिए गिरफ्तार कर सकते हैं और वह मुख्यमंत्री नहीं रहेगा. यह पूरी तरह से संविधान-विरोधी, अलोकतांत्रिक और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.’
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने कहा,’लोकतंत्र की हत्या करने वाली सरकार SIR से डरी हुई है. केंद्र सरकार मंचों से जिन व्यक्तियों का नाम लेकर जेल जाने की बात करती थी, चाहे वो मेघालय, असम या महाराष्ट्र से हों, उन लोगों को उन्होंने मंत्री और मुख्यमंत्री बना दिया. ऐसे में पहले उन्हें जेल भेजना चाहिए. यह सरकार डरी हुई है और इस कानून का फायदा उठाएगी. यह लोकतंत्र के खिलाफ गहरी और खतरनाक साजिश है.’
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