
दुबई: ईरान में नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में साफ हो जाएंगे. राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती रुझान में कट्टरपंथी उम्मीदवार सईद जलीली ने बढ़त बना ली है, जबकि सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन दूसरे स्थान पर हैं. शुरुआती रुझानों में जलीली को एक करोड़ से अधिक वोट मिले हैं, जबकि पेजेशकियन को 42 लाख वोट मिले है. वहीं संसद के कट्टरपंथी स्पीकर मोहम्मद बाघेर कलीबाफ को 13 लाख 80 हजार वोट मिले, जबकि शिया धर्मगुरु मुस्तफा पूरमोहम्मदी को करीब 80,000 वोट मिले हैं.
प्राइमिरी स्कूल प्रिसिंपल के बेटे सईद जलीली को ईरान के सुप्रीम लीडर का बड़ा वफादार माना जाता है. सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने वर्ष 2007 में जलीली को सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में अपना प्रतिनिधि चुना था. पूर्व राजनयिक जलीली भी खुद को ‘वेलायत ए फकीह’ या सर्वोच्च न्यायशास्त्र द्वारा शासन में आस्था रखने वाला व्यक्ति बताते हैं.
यह ईरान की इस्लामी सरकार की प्रणाली है, जो खामेनेई की सर्वोच्च स्थिति का आधार प्रदान करती है. जलीली 2013 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इसमें हसन रूहानी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्हें 41 लाख से ज्यादा वोट मिले थे और वे राष्ट्रपति रूहानी और दूसरे नंबर पर रहे मोहम्मद बाघेर ग़ालिबफ़ के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे.
ईरान के सरकारी टेलीविजन चैनल पर जारी शुरुआती नतीजों में जलीली को इस चुनाव में सीधे जीत हासिल करता नहीं दिखाया गया. इससे चुनाव नतीजों में टॉप दो स्थानों पर रहने वाले उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना नजर आ रही है.
ईरानी कानून के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने पर ही कोई उम्मीदवार विजेता घोषित किया जा सकता हैं और अगर ऐसा नहीं होता है, तो टॉप दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होगा. ईरान के राष्ट्रपति पद के चुनावी इतिहास में केवल एक बार 2005 में ऐसा हुआ है, जब कट्टरपंथी महमूद अहमदीनेजाद ने पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी को हराया था.
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