
नई दिल्ली: भारत में उपराष्ट्रपति (Vice President) पद के लिए हलचल तेज हो गई है. जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे के बाद अब यह सवाल सभी को परेशान कर रहा है, आखिर अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? उपराष्ट्रपति नॉमिनी का नाम न सिर्फ चौंकाने वाला होगा, बल्कि राजनीतिक समीकरणों (Political Equations) को साधने वाला भी. बीजेपी (BJP) की अगली चाल न केवल उपराष्ट्रपति का नाम तय करेगी, बल्कि 2029 तक के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है. अगर पार्टी अपने सहयोगियों में से किसी को यह पद देती है, तो वह 2024 के बाद भी गठबंधन की मजबूती का संकेत होगा.
जैसे ही धनखड़ का इस्तीफा गजट में अधिसूचित हुआ, चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत प्रक्रिया पूरी की जाएगी. जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होगी. लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित व मनोनीत सदस्य उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी विदेश दौरे पर हैं. उनके लौटते ही बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक होगी, जो उपराष्ट्रपति के नाम को अंतिम मुहर देगा. बीजेपी को लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के साथ बहुमत हासिल है, इसलिए जो भी नाम तय होगा, उसका चुनाव तय माना जा रहा है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक अगला उपराष्ट्रपति ‘पूरी तरह से वफादार’ और ‘एनडीए का पुराना साथी’ होगा. ये दो संकेत बहुत अहम हैं. इसका मतलब है कि न जेपी नड्डा जैसे वरिष्ठ नेता का नाम आगे आएगा, न विपक्ष के शशि थरूर जैसे चेहरे का. बल्कि पार्टी के अंदर गंभीरता से इस बात पर मंथन चल रहा है कि तेलुगू देशम पार्टी या जनता दल यूनाइटेड जैसे किसी सहयोगी दल के नेता को यह जिम्मेदारी दी जाए, जिससे गठबंधन मजबूत हो और क्षेत्रीय संतुलन भी साधा जा सके.
बीजेपी के कई ऐसे नेता हैं जो या तो राज्यसभा से रिटायर होने वाले हैं, या फिर सरकार में जूनियर मंत्री के तौर पर सीमित भूमिका में हैं. उन्हें भी इस चुनाव के बहाने नई जिम्मेदारी मिल सकती है. पार्टी के अंदर होने वाले संभावित कैबिनेट फेरबदल, गवर्नर नियुक्तियों और नए बीजेपी अध्यक्ष को लेकर भी जल्द ही बड़े फैसले की संभावना है.
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