
पटना। कृषि बिल को वापिस लेने के लिए किसानों तथा विपक्षी राजनीतिक दलों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार ने 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से पांच दौर की वार्ता के बाद एमएसपी पर लिखित आश्वासन, एपीएमसी कानून में बदलाव और ठेका खेती के विवाद में कोर्ट जाने की अनुमति देने सहित छह प्रमुख मांगों को मान लेने का प्रस्ताव देकर आंदोलन समाप्त कराने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की। इस नरम और सद्भावपूर्ण रुख के बावजूद सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा कर आंदोलन तेज करने का फैसला अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। पंजाब के कुछ किसान और बिचौलिये किसके इशारे पर मंदी, कोरोना और लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौटती अर्थव्यवस्था का गला घोंटना चाहते हैं।
सुशील मोदी ने अन्य ट्वीट में कहा कि जो लोग विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार का असीमित उपयोग कर किसान के बहाने देश की राजधानी को लंबे समय तक घेरे रखने पर आमादा हैं, वे दिल्ली और शेष भारत के करोडों किसानों, व्यवसायियों, नौकरीपेशा लोगों और मजदूरों के जीने-कमाने के अधिकार का खुला अतिक्रमण कर रहे हैं। संसद से पारित तीन कृषि कानून को रद्द करने की जिद्द पर अड़े रहना किसान आंदोलन की फंडिंग और नीयत पर गंभीर सवाल उठाता है।(एजेंसी, हि.स.)
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