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मंदिर vs दरगाह : जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की तैयारी, में ऐसी नौबत क्यों आई

December 09, 2025

नई दिल्‍ली। संसद के मॉनसून सत्र में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ लाया गया महाभियोग (Impeachment) का मामला अभी निपटा भी नहीं है कि अब एक और हाई कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के सांसद मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं।

DMK की तरफ से यह कदम जस्टिस स्वामीनाथन के उस आदेश के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें पिछले दिनों उन्होंने निर्देश दिया था कि मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों की चोटी पर एक दरगाह के पास स्थित मंदिर के दीबाथुन पिलर के ऊपर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस पारंपरिक अनुष्ठान से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का किसी तरह से कोई उल्लंघन नहीं होगा लेकिन तमिलनाडु सरकार ने कानून और व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट के इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया।



महाभियोग लाने की तैयारी

इसके बाद राज्य में इस मुद्दे पर राजनीति गरम हो गई है। एक तरफ यह मामला हाई कोर्ट की डबल बेंच में पहुंचा है, तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है। विवादों के बीच, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने शुक्रवार को तमिलनाडु में DMK सरकार पर हमला बोलते हुये इसे “हिंदू विरोधी” बताया और केंद्र से “हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों” की रक्षा करने और राज्य में कानून का शासन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इस राजनीति के बीच सत्ताधारी पार्टी DMK के सांसद इस मामले को अब राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। इसी रणनीति के कारण DMK अब उस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है।

अपने आदेश में क्या कहा था?

अपने आदेश में हाई कोर्ट ने मंदिर अधिकारियों और दरगाह मैनेजमेंट की आपत्तियों को खारिज कर दिया था और निर्देश दिया था कि भक्तों के एक छोटे ग्रुप (10 तक) को CISF का निगरानी में पूरी सुरक्षा के साथ रस्म पूरी करने के लिए ले जाया जाए। हालांकि, राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने त्योहार की रात श्रद्धालुओं को पहाड़ी की चोटी पर जाने से रोक दिया, जिससे हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया और वे विरोध प्रदर्शन करने लगे और पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की।

SC में SLP पिटीशन

बाद में 5 दिसंबर को, मद्रास हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि राज्य की मशीनरी ने “जानबूझकर” निर्देशों को लागू न करने का फैसला किया था। अधिकारियों की बाद की अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद, तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की है, जिस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है।
कौन हैं जस्टिस स्वामीनाथन?

जस्टिस स्वामीनाथन का जन्म 1968 में हुआ था। वे तिरुवरूर के निवासी हैं। 1991 में वकील बन जाने के बाद उन्होंने 1997 में पुदुचेरी में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। बाद में 2004 में वह मद्रास हाई कोर्ट के मदुरई बेंच में प्रैक्टिस करने लगे। उन्हें 28 जून 2017 को मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। इसके बाद स्वामीनाथन को अप्रैल 2019 में मद्रास हाई कोर्ट का परमानेंट जज नियुक्त किया गया था। वह 31 मई 2030 को अपने पद से रिटायर होंगे। जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिलनाडु में इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर गैर जरूरी मेडिकल हस्तक्षेपों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उनके इस फैसले की काफी तारीफ हुई थी। सुप्रीम कोर्ट से लेकर UN तक उनके फैसले की चर्चा हो चुकी है।

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