
नई दिल्ली । ऋषभ पंत(Rishabh Pant) को इंग्लैंड (England)के दौरे पर आधिकारिक रूप से टेस्ट टीम(Test Team) का उपकप्तान बनाकर भेजा गया था। उन्होंने इस जिम्मेदारी को अच्छे तरीके से निभाया और कमाल की बल्लेबाजी की। चौथे मैच में चोटिल होने से पहले 3 मैचों में 400 से ज्यादा रन बना दिए थे। चौथे टेस्ट मैच में बल्लेबाजी करते समय उनके पैर में चोट लगी और वे आखिरी मैच से बाहर हो गए। पंत रिवर्स स्वीप करने के चक्कर में अपने पैर की उंगली की फ्रैक्चर करा बैठे, क्योंकि क्रिस वोक्स की एक सीधी गेंद उनके दाहिने पैर की छोटी उंगली के पास लगी। पंत के इस तरह के शॉट्स का विश्लेषण महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने किया है।
सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि इंग्लैंड में ऋषभ पंत ने जिस तरह से बल्लेबाजी की, उससे लगता है कि उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में आवश्यक व्यावहारिकता के साथ अपने आक्रामक रुख को संतुलित करना सीख लिया है। तेंदुलकर ने उस पैडल स्वीप शॉट पर भी विशेष ध्यान दिया, जिसे पंत खेलते समय अक्सर गिर जाते हैं। तेंदुलकर का कहना है कि जमीन पर गिरने के बावजूद पंत उस शॉट को खेलते समय कभी संतुलन नहीं खोते और गिरना जानबूझकर होता है।
तेंदुलकर ने रेडिट पर कहा, “उन्होंने जो स्वीप शॉट खेला, उसमें उन्हें गेंद के नीचे आकर उसे थोड़ा ऊपर उठाकर स्कूप करना पसंद है। लोग सोचते हैं कि वह गिर गए हैं, लेकिन यह जानबूझकर होता है ताकि वह गेंद के नीचे आ सकें। ऐसे शॉट खेलने का राज गेंद के नीचे आना है। इसलिए यह एक योजनाबद्ध गिरावट है, उनका संतुलन नहीं बिगड़ता। यह सब गेंद की लंबाई पर निर्भर करता है।”
पंत 2024/25 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान अपने शर्मनाक प्रदर्शन के लिए काफी आलोचनाओं के घेरे में आए थे, खासकर तब जब दिसंबर में एमसीजी में चौथे टेस्ट में उनके आउट होने के बाद सुनील गावस्कर ने कमेंट्री में उन पर तीखा हमला बोला था। हालांकि, इंग्लैंड में पंत फिर से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर लौट आए। पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों शतक और फिर तीन अर्धशतक उनके बल्ले से आए। यहां तक कि उन्होंने आखिरी अर्धशतक अपना पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर होने के बावजूद पूरा किया था।
पंत के आड़े-तिरछे शॉट्स पर सचिन तेंदुलकर ने कहा, “ऐसे मौके आए जब लोगों को लगा कि उन्हें वह शॉट नहीं खेलना चाहिए, यह सही समय नहीं है, लेकिन ऋषभ जैसे खिलाड़ी को अकेला छोड़ देना चाहिए, लेकिन जब वह मैच बचाना चाहते हैं, तो उन्हें एक अलग दृष्टिकोण अपनाना होगा, जैसे मैच के आखिरी 15-20 ओवरों में, लेकिन उन्होंने मैच की स्थिति के अनुसार (पारी को कैसे संभालना है) यह समझ लिया है।”
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