
नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk-1A की डिलीवरी में देरी ने चिंता बढ़ा दी है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ (Air Force Chief) मार्शल अमर प्रीत सिंह (Amar Preet Singh) ने दूसरी बार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पर खुलकर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि समय पर डिलीवरी न होना एक बड़ी समस्या है. आइए, इस देरी के कारण, मौजूदा स्थिति और भविष्य की योजनाओं को समझें.
तेजस Mk-1A में देरी का मामला
तेजस Mk-1A एक उन्नत स्वदेशी फाइटर जेट है. जो पुराने MiG-21, MiG-27 और जगुआर विमानों की जगह लेगा. फरवरी 2021 में, वायुसेना ने HAL के साथ 48000 करोड़ रुपये का करार किया. जिसमें 83 तेजस Mk-1A जेट्स की डिलीवरी होनी थी. पहला जेट 31 मार्च 2024 तक मिलना था, लेकिन यह समय सीमा टल गई. अब HAL ने वादा किया है कि नवंबर 2024 से डिलीवरी शुरू होगी.
वायुसेना प्रमुख ने 29 मई 2025 को CII बिजनेस समिट में कहा कि समय सीमा एक बड़ा मुद्दा है. उद्योग को वही वादे करने चाहिए जो वो पूरा कर सके. इससे पहले, फरवरी 2025 में एयरो इंडिया शो में उन्होंने HAL पर “भरोसा न होने” की बात कही थी. उन्होंने कहा कि हम मिशन मोड में काम नहीं कर रहे. HAL हमारी अपनी कंपनी है, लेकिन ‘हो जाएगा’ वाला रवैया ठीक नहीं.
देरी के कारण
इंजन की कमी… अमेरिकी कंपनी GE Aerospace को 99 F404-IN20 इंजन देने थे, लेकिन आपूर्ति में दो साल की देरी हुई. इसका कारण कोविड महामारी के बाद सप्लाई चेन की समस्याएं और दक्षिण कोरियाई कंपनी से पुर्जों की कमी थी. मार्च 2025 में पहला इंजन HAL को मिला और 12 इंजन इस साल मिलने की उम्मीद है.
तकनीकी देरी… नए सिस्टम जैसे EL/M-2052 और उत्तम AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और सॉफ्टवेयर अपडेट की सर्टिफिकेशन में देरी हुई. जनवरी 2025 में Astra मिसाइल और रडार के टेस्ट शुरू हुए.
उत्पादन की चुनौतियां… HAL की बेंगलुरु और नासिक फैसिलिटी में उत्पादन धीमा रहा. हालांकि, नासिक में नई प्रोडक्शन लाइन शुरू की गई है, जिससे सालाना 16-24 जेट्स बनाने की क्षमता होगी.
वायुसेना की चिंता… वायुसेना के पास अभी 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि 42 की जरूरत है. पुराने MiG-21, MiG-27 और जगुआर विमान रिटायर हो रहे हैं, जिससे युद्धक क्षमता पर असर पड़ रहा है. तेजस Mk-1A की देरी से यह कमी और बढ़ सकती है. 2025 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बाद वायुसेना को मजबूत बेड़े की जरूरत और बढ़ गई.
HAL का जवाब और योजनाएं
HAL के चेयरमैन डी.के. सुनील ने कहा कि हमने तकनीकी समस्याएं सुलझा ली हैं. इंजन मिलने के बाद डिलीवरी तेज होगी.
2025 में डिलीवरी: इस साल के अंत तक 12 तेजस Mk-1A जेट्स दिए जाएंगे.
83 जेट्स का करार: 2028 तक 83 जेट्स की डिलीवरी पूरी होगी.
नई प्रोडक्शन लाइन: बेंगलुरु और नासिक में तीन प्रोडक्शन लाइन से सालाना 24 जेट्स बनाए जाएंगे.
निजी कंपनियों की भागीदारी: Alpha Tocol जैसी निजी कंपनियां फ्यूजलेज सप्लाई कर रही हैं.
GE Aerospace की भूमिका
GE Aerospace ने मार्च 2025 में पहला F404-IN20 इंजन HAL को दिया. कंपनी ने कहा कि सप्लाई चेन की समस्याएं सुलझ गई हैं. 2025 में 12 इंजन मिलेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा में इस मुद्दे को उठाया था.
भविष्य की योजनाएं
97 और जेट्स का ऑर्डर: वायुसेना 67,000 करोड़ रुपये में 97 और Mk-1A जेट्स ऑर्डर करने की योजना बना रही है. यह 2031 तक पूरा होगा.
तेजस Mk-2: यह ज्यादा शक्तिशाली GE-F414 इंजन के साथ आएगा, जिसका पहला उड़ान टेस्ट 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में होगा.
AMCA प्रोजेक्ट: 5वीं पीढ़ी का AMCA जेट भी बन रहा है, लेकिन इसकी डिलीवरी में भी देरी की आशंका है.
रक्षा मंत्रालय की पहल
रक्षा मंत्रालय ने देरी को कम करने के लिए एक पाँच सदस्यीय समिति बनाई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने की. इस समिति ने निजी कंपनियों को शामिल करने और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए.
तेजस Mk-1A की खासियत
उन्नत तकनीक: इसमें उत्तम AESA रडार, Astra मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम है.
स्वदेशी हिस्सा: Mk-1A में 70% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री होगी.
युद्धक क्षमता: यह हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम है.
चुनौतियां और समाधान
चुनौतियां: इंजन की कमी, सर्टिफिकेशन में देरी और HAL की सीमित प्रोडक्शन क्षमता.
समाधान: नई प्रोडक्शन लाइन, निजी कंपनियों की मदद और GE के साथ बातचीत.
तेजस Mk-1A की देरी ने वायुसेना की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन HAL और GE Aerospace ने समस्याएं सुलझाने का वादा किया है. 2025-26 से प्रोडक्शन तेज होने की उम्मीद है. यह प्रोजेक्ट भारत की आत्मनिर्भरता और वायुसेना की ताकत के लिए महत्वपूर्ण है. समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना HAL और सरकार की जिम्मेदारी है.
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