
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में केंद्र सरकार पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के नुकसान को लेकर तीखे सवाल दागे हैं. उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान की आलोचना की, जिसमें जयशंकर ने कहा था कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत में पाकिस्तान को आतंकी ठिकानों पर हमले की जानकारी दी थी. राहुल ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़’ और ‘अपराध’ करार देते हुए पूछा कि इस निर्णय को किसने अधिकृत किया और इसके परिणामस्वरूप भारतीय वायुसेना ने कितने विमान खोए? बीजेपी ने राहुल गांधी के इस सवाल पर ही उनको घेरा है. वहीं, रक्षा मामलों के जानकारों ने भी राहुल के इस डिमांड पर काफी तीखी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, कुछ लोगों ने राहुल की मांग का कुछ हद तक समर्थन किया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार इस तरह का डेटा को सार्वजनिक करने से इनकार कर सकती है? क्या भारत सरकार ‘Official Secrets Act, 1923’ कानून के तहत किसी भी जानकारी को ‘गोपनीय’ घोषित कर सकती है?
भारत में ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923, के तहत जब मामला देश की सुरक्षा, विदेश नीति या रणनीतिक हितों से जुड़ी हो तो रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बलों और सरकार को यह अधिकार है कि वे सैन्य अभियानों से जुड़ी जानकारी गोपनीय रखें. राहुल गांधी लगातार मांग कर रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा अब तक कितने भारतीय सैन्य और गैर-सैन्य विमानों को मार गिराया गया है? केंद्र सरकार उसका आधिकारिक आंकड़ा संसद या जनता के सामने रखे, ये पूरी तरह से सेना और सरकार के रुख पर है.
राहुल गांधी का दावा है कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर से पहले जानकारी देना रणनीतिक रूप से गलत था, जिसके कारण भारत को नुकसान उठाना पड़ा. 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, के जवाब में भारत ने 6-7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया. राहुल का आरोप है कि पाकिस्तान को पहले से जानकारी होने के कारण भारतीय वायुसेना को नुकसान हुआ. उन्होंने सरकार से दो सवाल पूछे (1) इस निर्णय को किसने मंजूरी दी? (2) भारतीय वायुसेना ने कितने विमान खोए?
विदेश मंत्रालय ने राहुल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जयशंकर के बयान को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है. मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के बाद, न कि पहले, सूचित किया गया था कि भारत केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बना रहा है, न कि सैन्य ठिकानों को. भारतीय सेना के डीजीएमओ राजीव घई ने भी 11 मई को स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को ऑपरेशन के शुरुआती चरण में सूचित किया गया, लेकिन उन्होंने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया.
भारत में ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक करने पर रोक लगाता है. रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) के अनुसार, ‘सैन्य अभियानों के दौरान नुकसान का डेटा, विशेष रूप से मानव हानि, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील होता है. इसे सार्वजनिक करना दुश्मन देशों को भारत की सैन्य ताकत और रणनीति के बारे में जानकारी दे सकता है. यही कारण है कि सरकार अक्सर विमानों जैसे भौतिक नुकसान (मैटिरियल लॉस) की जानकारी साझा कर सकती है, लेकिन मानव हानि (ह्यूमन लॉस) को गोपनीय रखती है, क्योंकि यह सैनिकों के मनोबल और राष्ट्रीय भावनाओं पर असर डाल सकता है.’
रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर का कहना है कि कई देश, विशेष रूप से भारत जैसे लोकतांत्रिक देश सैन्य अभियानों में भौतिक नुकसान को स्वीकार करने में कम हिचक दिखाते हैं, क्योंकि यह तकनीकी या रणनीतिक कमजोरी को सीधे उजागर नहीं करता. उदाहरण के लिए, 1999 के कारगिल युद्ध में भारत ने क्षतिग्रस्त विमानों की संख्या साझा की थी, लेकिन मानव हानि का पूरा ब्योरा तुरंत सार्वजनिक नहीं किया गया. ह्यूमन लॉस का खुलासा करने से जनता में आक्रोश या सरकार के खिलाफ अविश्वास पैदा हो सकता है. इसके विपरीत, भौतिक नुकसान को स्वीकार करना रणनीतिक रूप से कम जोखिम भरा माना जाता है.’
रक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि मैटेरियल लॉस (विमानों, टैंकों आदि का नुकसान) की सीमित जानकारी समय के साथ सार्वजनिक की जा सकती है, जैसा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश करते हैं. लेकिन रूस-यूक्रेन जंग में क्या जानकारी सामने आई है कि कितने विमान रूस ने खोए और कितने विमान यूक्रेन ने खोए? इस तरह की जानकारी खासकर तब जब टकराव की स्थिति अभी भी जारी हो या भविष्य की रणनीति पर असर पड़ सकता हो, नहीं जारी की जाती है.
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