
नई दिल्ली । इंग्लैंड की टीम(England team) के पूर्व कप्तान सर ज्योफ्री बॉयकॉट(Former captain Sir Geoffrey Boycott) ने भारतीय ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा(Indian all-rounder Ravindra Jadeja) और वॉशिंगटन सुंदर(washington sundar) की तरफदारी की और अपनी टीम के कप्तान बेन स्टोक्स को लताड़ लगाई। बॉयकॉट का कहना है कि दोनों भारतीय बल्लेबाजों को पूरा हक था कि वे खेलते रहें और मैनचेस्टर टेस्ट को जल्दी ड्रॉ करने के बेन स्टोक्स के अनुरोध को न मानें। ज्योफ्री बॉयकॉट एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट के आखिरी दिन के आखिरी घंटे में हुए हैंडशेक ड्रामे के लिए इंग्लैंड के कप्तान की जमकर आलोचना की।
इंग्लैंड की टीम ने मैच को जीतने की पूरी कोशिश आखिरी दिन की, लेकिन रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने मेजबानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। जब यह पूरी तरह तय हो चुका था कि अब इस मैच का नतीजा ड्रॉ के रूप में ही निकलेगा तो इंग्लैंड के कप्तान ने चालाकी दिखाते हुए रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर से ड्रॉ के लिए हाथ मिलाने की कोशिश की, लेकिन जडेजा ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वे 89 रनों पर थे और वॉशिंगटन सुंदर 80 रन बना चुके थे। दोनों बल्लेबाज शतकों के करीब थे, जो बाद में उन्होंने पूरे भी किए। स्टोक्स को ये बात पसंद नहीं आई और उन्होंने जडेजा को ताना मारा कि तुम हैरी ब्रूक की गेंदों पर शतक जड़कर क्या करोगे।
इस पूरे मसले पर ज्योफ्री बॉयकॉट ने टेलीग्राफ को लिखे कॉलम में कहा, “जैसा करोगे, वैसा भरोगे। इंग्लैंड तब तक काफी आक्रामक था जब तक उसे इसकी जरूरत थी, विकेट लेने की खूब कोशिश की, इसलिए आप भारत को दोष नहीं दे सकते कि उसने टिके रहने की कोशिश की और दो बल्लेबाजों को शतक बनाने का मौका दिया, जिन्होंने जी-तोड़ मेहनत की थी। अगर आप इंग्लैंड की तरह देते हैं, तो आपको उसे स्वीकार भी करना होगा। मैं स्टंप माइक के जरिए उन्हें भारत पर कटाक्ष करते हुए सुन सकता था, तो फिर जब इंग्लैंड का मन भर गया हो, तो वे उनके साथ अच्छा व्यवहार क्यों करें और मैदान छोड़ने पर क्यों राजी हों?”
बॉयकॉट ने यह भी लिखा कि भारतीय खिलाड़ी बहुत सख्त हैं। उन्होंने यह भी दावा कि अगर बेन स्टोक्स जडेजा और सुंदर की जगह होते तो वह भी बल्लेबाजी करते। उन्होंने कहा, “ये भारतीय खिलाड़ी बहुत मजबूत हैं। ये पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। अपनी टीम के लिए मैच बचाने के लिए पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के बाद, मैं किसी को भी 89 रन पर बाहर जाने नहीं देता। रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर अपने शतकों के हकदार थे। उन्होंने गेंद को अच्छी तरह छोड़ा, बल्ले का पूरा मुंह दिखाया और हर कीमत पर अपने विकेट बचाए। शाबाश।”
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